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खबर का असर::2 साल से बीपीएल परमिट बनवाने भटक रहा था आदिवासी परिवार, खबर लगते ही रायसेन कलेक्टर ने मामले को लिया संज्ञान में

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-कलेक्टर श्री अरविंद दुबे के आदेश पर 1 दिन में ही जारी हुआ बीपीएल कार्ड

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की Exclusive रिपोर्ट।
पिछले 2 वर्षों से ढकना गांव निवासी उमराव आदिवासी गरीबी रेखा का कार्ड बनवाने के लिए सांची से लेकर रायसेन के सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा था। फिर भी उसका गरीबी रेखा का बीपीएल कार्ड नही बन पा रहा था। गरीब आदिवासी परिवार की इस समस्या को एमपी टुडे वेबसाइट ने 13 फरवरी को प्राथमिकता के साथ अपनी वेबसाइट में प्रकाशित किया। खबर पड़ते ही रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे ने मामले को संज्ञान में लेकर तत्काल सांची जनपद के एपीओ प्रवीण त्रिपाठी को निर्देश दिए कि उमराव आदिवासी का बीपीएल कार्ड जारी किया जाए। निर्देश मिलते ही एपीओ ने ढकना पंचायत सचिव मुकेश कुमार बौद्ध को पाबंद कर फरियादी उमराव को सांची जनपद लाने का कहा। और जो गरीब आदिवासी परिवार दो सालों से बीपीएल कार्ड के लिए परेशान था। खबर प्रकाशित होने के बाद उसका बीपीएल कार्ड बनाने के आदेश एक दिन में ही जारी हो गए। वहीं उमराव सिंह आदिवासी ने एमपी टुडे वेबसाइट का आभार व्यक्त किया है।

उमराव के पास सांची जनपद जाने के लिए नही था किराया जनपद एपीओ खुद लेने पहुंचे कार से

टीवी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त गरीब आदिवासी उमराव के पास इतने पैसे भी नही थे कि वह सांची जनपद तक पहुंच पाए। जैसे ही इस बात की जानकारी सांची जनपद मनरेगा के एपीओ प्रवीण त्रिपाठी को लगी तो वह खुद तत्परता दिखाते हुए उमराव को लेने अपनी कार से ढकना गांव पहुंचे। और सांची लाकर तत्काल पटवारी नीलू श्रीवास्तव से बीपीएल आवेदन फार्म पर हस्ताक्षर कराकर सांची तहसील से बीपीएल कार्ड के आदेश जारी हुए।

सांची तहसीलदार छुट्टी पर थी तो रायसेन नायब तहसीलदार से कराए हस्ताक्षर

उमराव के बीपीएल कार्ड आवेदन पर पटवारी की रिपोर्ट लगने के बाद सांची नायब तहसीलदार नियति साहू के हस्ताक्षर होना थे। लेकिन वह छुट्टी पर थी। तो रायसेन तहसील जाकर नायब तहसीलदार शिवांगी खरे से हस्ताक्षर कराए गए। जिस प्रकार प्रशासन ने खबर लगने के बाद गंभीरता दिखाते हुए एक दिन में ही बीपीएल कार्ड बनाने के आदेश जारी किए हैं।अगर यहीं काम 2 साल पहले ही कर दिया जाता तो गरीब आदिवासी उमराव अपनी टीवी जैसी बीमारी का इलाज अच्छे से करा पाता। और सालों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी नही काटने पड़ते।

दोनों बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र भी हुए जारी

उमराव आदिवासी के दोनों बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र भी नही थे। जिसकी वजह से दोनों के आधार कार्ड नही बन पा रहे थे। और स्कूल में भी इनका एडमिशन नही हो पा रहा था। लेकिन खबर प्रकाशित होने के बाद उमराव की पुत्री तनवी बाई और पुत्र दुर्गा सिंह के जन्मदिन प्रमाण पत्र भी तत्काल बना दिए गए है। जिसकी पुष्टि ढकना पंचायत सचिव मुकेश कुमार बौद्ध द्वारा की गई है।

 

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