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आक्रोशित अतिथि विद्वान बोले पीएससी से पहले हो भविष्य सुरक्षित

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मुख्यमंत्री शिवराज दिखाएं संवेदनशीलता,पीएससी अतिथि विद्वानों की समस्या का हल नहीं-महासंघ

डॉ. अनिल जैन

भोपाल।सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों में काफ़ी हलचल मच गई है।जैसा की विदित है कि उच्च शिक्षा विभाग सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा आगामी समय में करवाने की तैयारी कर रहा है।इसी को लेकर कार्यरत अतिथि विद्वानों के लिए पूर्व में 2019-20 में दी गई अतिथि विद्वानों के लिए छूट अनुभव और उम्र में वो जारी रहेगी।इसी को उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव और उच्च शिक्षा की व्यवसाइट में अपलोड किया है।

इसी को लेकर अतिथि विद्वान काफ़ी अक्रोशित हैं।अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने बताया कि पीएससी किसी भी सूरत में अतिथि विद्वानों के हित में नहीं रही है।पिछली 2017-18 सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा आज भी कटघरे में खड़ी हुई है इसके मामले माननीय न्यायालय में विचाराधीन हैं।इस विवादित भर्ती के कारण ही लगातार दो दो सरकारें गिरी और अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण मुद्दे पर प्रदेश का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ।आगे डॉ सिंह ने कहा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ख़ुद अतिथि विद्वानों से भविष्य सुरक्षित करने का वादा आंदोलन में आकर कर चुके हैं फिर ये पीएससी क्यों?सरकार से आग्रह है कि अतिथि विद्वानों को नियमित करने के बाद पीएससी भर्ती करें संघ को कोई आपत्ति नहीं होगी।


विराट कोहली(नए अभ्यर्थी)के साथ कपिल देव(अतिथि विद्वान)को दौड़ना कहा तक उचित है??
अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कटाक्ष किया और कहा की वर्तमान में विराट कोहली(नए अभ्यर्थी)और कपिल देव(अतिथि विद्वान)को एक साथ क्यों मैदान में उतार रही है सरकार।अतिथि विद्वानों की भर्ती पूरे यूजीसी योग्यता के अनुसार होती है 25-26 साल से महाविद्यालय में अनिश्चित भविष्य आर्थिक बदहाली के बावजूद लगातार सेवा देते आ रहे हैं फिर ये विवादित पीएससी भर्ती करवा कर मध्य प्रदेश के मूल निवासी अतिथि विद्वानों को नौकरी से निकाला जाएगा।डॉ पांडेय ने कहा की अगर अतिथि विद्वान अयोग्य हैं तो फिर उनके युवाकाल का शोषण सरकार क्यों की,अब उम्र के इस पड़ाव में सेवा से बेदखल क्यों करने में तुली है सरकार।आज़ अतिथि विद्वानों में काफ़ी निराशा के साथ साथ आक्रोश है,सरकार से निवेदन है कि मानवीय संवेदना के साथ मध्य प्रदेश के मूल निवासी अतिथि विद्वानों को नियमित कर भविष्य सुरक्षित कर वादा पूरा करें फिर पीएससी करवाए।

 

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