विदिशा से अदनान खान की रिपोर्ट
नगर के लक्ष्मीनारायण जगदीश धाम नंदवाना में राधाष्टमी के पावन अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन राष्ट्रीय कथावाचक गौवत्स पं.अंकितकृष्ण तेनगुरिया’वटुकजी’ ने कहा कि गुरू और गोविंद की शरणागति ही सभी दुखों से मुक्त करतीं हैं। जिस समय राजर्षि परीक्षित को सात दिन में तक्षक के काटने से मृत्यु का श्राप लगा तो उन्होंने अल्प आयु में संसार के सभी बंधनों को त्यागकर गंगा के तट पर जाकर गुरुदेव शुकदेव की शरणागति ली। और मृत्यु के भय से मुक्त हो गये।वटुकजी महाराज ने कहां कि हमें सर्वप्रथम अपने जीवन में कुसंग का परित्याग करके सत्पुरुषों का संग करना चाहिए, जैसे विदुरजी महाराज ने कौरवों का संग त्यागकर अपनी गरीबी में रहना उचित समझा और सत्संग का आश्रय लिया।उसी के फलस्वरूप भगवान द्वारकाधीश उनकी पर्णकुटी में पधारे।
लक्ष्मीनारायण मंदिर जगदीश धाम के मुख्य अर्चक पं.मनमोहन शर्मा (मुखियाजी)ने बताया कि कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया।जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के चतुर्थ दिवस बुधवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। इस दौरान भगवान के बाल रूप के एक सुंदर झांकी भी सजाई जाएगी, कथा आचार्य ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि भगवान के जन्म उत्सव के समय कथा स्थल पर सभी श्रद्धालु हो सके तो पीले वस्त्र धारण करके ही पधारें, क्योंकि जैसे हमारे घर में किसी का जन्म होने पर खुशी मनाई जाती है ठीक उसी प्रकार कथा स्थल पर उत्सव मनाया जाएगा और पीले वस्त्र उत्सव में शुभ माने जाते हैं आयोजन समिति के सदस्यों ने सभी नगरवासियों से अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की।