सांची रायसेन से देवेंद्र तिवारी
लंबे समय से नगरीय निकाय चुनाव का लोगों को इंतजार था जैसे ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई कुछ टिकट मिलने से खुश हुए तो कुछ लोगों को टिकट न मिलने से निराश होना पड़ा । इनमें ब्राह्मण समाज से भाजपा से टिकिट न मिलने पर रोष व्याप्त हो गया तो वाल्मिकी समाज भी अछूता नहीं रहा इससे निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी बढ़ गई । तथा राजनैतिक दलों का चुनावी समीकरण गड़बड़ाने की संभावना भी बढ़ गई है ।
जानकारी के अनुसार लंबे समय बाद जैसे तैसे चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई तथा राजनैतिक दलों में भी टिकिट लेने की होड़ मच गई कोई खुश हुआ तो कुछ को निराशा हाथ लगी सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में भी इन दिनों टिकट न मिलने से रोष बढ़ गया ऐसा ही मामला तब सामने आया जब हमेशा से भाजपा से जुड़े ब्राह्मण समाज के लोगों को 15 वार्ड में कहीं से भी टिकिट नहीं मिल सका तथा टिकिट न मिलने पर समाज में रोष बढ़ गया यही हाल वाल्मीकि समाज का भी सामने आया काफी दिनों से टिकिट की जोड तोड कर रहे थे तथा अपने अपने वार्ड से चुनाव मैदान में कूदने की जुगत भिड़ा रहे थे परन्तु टिकिट न मिलने से सबके अरमानों पर पानी फिर गया ऐसा ही मामला तब सामने आया जब भाजपा ने टिकिट बांट दिए इनमें ब्राह्मण समाज को तरजीह नहीं दी गई इसी प्रकार वाल्मीकि समाज को भी दरकिनार कर दिया गया तब सोशल मीडिया में टिकट का मुद्दा छाया रहा तब ऐन वक्त पर वार्ड नं 13 के युवा नेता का नाम सूची में जोड़ दिया गया परन्तु युवा नेता ने टिकिट लेने से इंकार कर दिया कि बाहरी वार्ड से में टिकट नहीं लग सकता तब पार्टी की मुश्किल बढ़ी एवं आनन फानन में वार्ड नं 13 से स्वास्थ्य मंत्री की करीबी नेता को टिकिट दिया गया हालांकि भाजपा कोर कमेटी की बैठक में टिकिट वितरण किया गया था बावजूद इसके ब्राह्मण समाज जो हमेशा से ही भाजपा से जुडा रहा टिकिट न मिलने से समाज में रोष बढ़ गया तथा पार्टी को सबक सिखाने की ठान ली यहां दूसरी ओर वाल्मीकि समाज में भी टिकिट न मिलने से नाराज़गी बढ़ गई तब कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दलों से नाराज़गी खुलकर सामने आ गई तब इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की भी खासी संख्या दिखाई देने लगी । वार्ड नं 1 से भाजपा तथा कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे तो निर्दलीय भी दो मैदान में कूद पड़े वार्ड नं 2 से भी दोनों पार्टियों के अलावा दो निर्दलीय चुनाव मैदान में शामिल हो गए वार्ड नं 3 से जहां दोनों पार्टियों से दो रहे तो निर्दलीय पांच रहें वार्ड नं 4 से दो दलों के तो 4 निर्दलीय वार्ड नं 5 से दोनों दलों के अलावा एक निर्दलीय वार्ड नं 6 से दोनों दलों के अलावा 5 निर्दलीय वार्ड 7 में दोनों दलों के अलावा तीन निर्दलीय वार्ड 8 में कांग्रेस शून्य रही यहां से भाजपा एवं तीन निर्दलीय वार्ड 9 में भाजपा ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया परन्तु इस वार्ड से न तो कांग्रेस ही अपने उम्मीदवार खड़े कर सकी न ही निर्दलीय ही सामने आया तब यह पहला मौका होगा जब कोई पार्षद निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जाएगा हालांकि फार्म जांच में कोई त्रुटी नहीं पाई जायेगी तभी संभावित होगा तथा वार्ड नं 10 में दोनों दलों के अलावा एक निर्दलीय वार्ड 11मे दोनों दलों के अलावा तीन निर्दलीय उम्मीदवार वार्ड 12 में दोनों दलों के अलावा ए क निर्दलीय वार्ड 13 जो नगर का सबसे बड़ा वार्ड माना जाता है यहां दोनों दलों के अलावा 7 निर्दलीय वार्ड 14 में दोनों दलों के अलावा दो निर्दलीय तथा वार्ड 15 में दोनों दलों के अलावा दो निर्दलीय शामिल हैं हालांकि इन निर्दलीय उम्मीदवारों में फार्म जांच उपरांत तथा कितने लोग फार्म वापस खींचते हैं इसके बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी । इस प्रकार कहीं न कहीं निर्दलीय उम्मीदवारों के कूदने से चुनाव और अधिक रोचक बन गया है तथा इस नाराज़गी का खामियाजा भाजपा को भुगतना भी पड़ सकता है तो दूसरी ओर कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक ठाक दिखाई नहीं देता वैसे भी कांग्रेस को कुछ वार्ड के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिल सके तो जो है उनकी खींचतान भी किसी से छिपी नहीं रही जब नगर अध्यक्ष ने ही ऐन चुनाव के वक्त ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया तब कहीं न कहीं गडबढ चल रहा है यह खींचतान भी तब उजागर हुई जब फार्म भरे जा रहे थे हालांकि कहीं न कहीं अंदरुनी मतभेद भी उजागर हो रहे हैं हालांकि जो कांग्रेसी डा चौधरी के समर्थन में भाजपा में शामिल हो चुके हैं तथा जो बाकी रहे हैं वह भी अंदरुनी रूप से भाजपा नेताओं के संपर्क में जकड़े बताये जा रहें हैं इनमें सबसे खास बात तो यह है कि भाजपा भी दो धड़ों में बंटी दिखाई दे जाती है इनमें एक धड़े से नप अध्यक्ष के प्रबंल दावेदार जो पूर्व में भी अध्यक्ष रह चुके हैं बलराम मालवीय माने जा रहे हैं जो वार्ड नं 1 से चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो दूसरे धड़े से पूर्व अध्यक्ष पति पप्पू रेवाराम जो वार्ड नं 3 से चुनाव समर में वार्ड पार्षद में अपनी नैया पार लगाकर अध्यक्ष के सपने संजोए बैठे हैं जुगत में भिड़े हुए हैं जो स्वास्थ्य मंत्री डॉ चौधरी के खास माने जाते हैं हालांकि यह तो चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा कि चुनाव पश्चात क्या समीकरण बनेंगे । वैसे भी कांग्रेस की उम्मीद न के बराबर दिखाई दे रही है भाजपा में से ही पक्ष तथा विपक्ष की संभावना बनी हुई है भाजपा के अंदरूनी खींचतान भी किसी से छिपी नहीं है ।