मनोज द्विवेदी
अमरकंटक। बीते एक पखवाड़े से अमरकंटक वन परिक्षेत्र में दहशत का कारण बनी बाघिन को आखिरकार वन विभाग की संयुक्त टीम ने सफलतापूर्वक पकड़ लिया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय टाइगर रिजर्व सीधी और अमरकंटक वन विभाग की टीमों ने अहम भूमिका निभाई। बाघिन लगातार पांच दिनों से अमरकंटक के धार्मिक स्थल कपिलधारा के समीप जंगलों में बाबाघाट, नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर मौजूद थी जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोग और श्रद्धालु भयभीत थे।
एक सप्ताह तक जालेश्वर में डेरा फिर कपिलधारा पहुंची बाघिन
इससे पहले बाघिन एक सप्ताह से अधिक समय तक जालेश्वर के जंगलों में रही और वहां से पलायन कर बाबाघाट कपिलधारा के आसपास के क्षेत्र में डेरा जमा लिया था । इस दौरान कई स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने बाघिन को देखा और उसके वीडियो भी बनाए जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना रहा।
वन विभाग ने शुरू की सतर्क निगरानी
अमरकंटक वन परिक्षेत्र अधिकारी वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाघिन की मौजूदगी की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने गश्त बढ़ा दी और लगातार उस पर निगरानी रखी जा रही थी। यह क्षेत्र नर्मदा परिक्रमा मार्ग का भी हिस्सा है जहां से प्रतिदिन बड़ी संख्या में परिक्रमा यात्री गुजरते हैं। इसके अलावा आस-पास रिहायशी इलाके भी हैं जिससे किसी अप्रिय घटना की संभावना बनी हुई थी। हालांकि अब तक बाघिन ने किसी व्यक्ति पर हमला नहीं किया लेकिन खतरे को टालना संभव नहीं था।वन विभाग ने बाघिन के व्यवहार का विश्लेषण किया और पाया कि वह लगातार एक ही क्षेत्र में बनी हुई थी और बहुत कम दूरी 40-50 मीटर तक ही चल रही थी। इससे आशंका थी कि वह बीमार हो सकती है या उसके पैरों में किसी प्रकार की तकलीफ हो सकती है। इस स्थिति को देखते हुए डीएफओ विपिन पटेल को सूचना दी गई जिन्होंने तत्काल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और संजय टाइगर रिजर्व सीधी की रेस्क्यू टीमों से संपर्क किया।
नर्मदा जन्मोत्सव के चलते कलेक्टर ने दिए रेस्क्यू के निर्देश
इस बीच जिला कलेक्टर हर्षल पंचोली ने निर्देश दिए कि अमरकंटक में आगामी नर्मदा जन्मोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने वाले हैं। ऐसे में बाघिन का शीघ्र रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित स्थान पर भेजना अनिवार्य हो गया था। कलेक्टर के निर्देश के बाद वन विभाग ने तेजी से ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी।
हाथी की मदद से बाघिन का किया गया सफल रेस्क्यू
शुक्रवार सुबह 9 बजे से 12 बजे तक तीन घंटे तक चले इस अभियान में सफलतापूर्वक बाघिन को रेस्क्यू किया गया। बाघिन लेंटाना की घनी झाड़ियों में छिपी हुई थी जिससे उसे पकड़ना मुश्किल हो रहा था। इस स्थिति को देखते हुए बांधवगढ़ से एक हाथी बुलवाया गया।
रेस्क्यू टीम ने हाथी पर बैठकर बाघिन को ट्रैंक्विलाइजर गन से निशाना बनाया जिससे वह निश्चेत हो गई। इसके बाद टीम ने सुरक्षित तरीके से उसे पकड़ा और पिंजरे में डाल दिया।
संजय टाइगर रिजर्व में बाघिन को भेजा गया
बाघिन को पकड़ने के बाद संजय टाइगर रिजर्व सीधी भेज दिया गया जहां उसकी स्वास्थ्य जांच की जाएगी और आवश्यक उपचार दिया जाएगा। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन से क्षेत्र के लोग राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि बीते कई दिनों से बाघिन की मौजूदगी से भय और दहशत का माहौल बना हुआ था।
स्थानीय लोगों ने वन विभाग का किया धन्यवाद
बाघिन के पकड़े जाने की खबर मिलते ही स्थानीय लोगों ने राहत महसूस की और वन विभाग की पूरी टीम का आभार जताया। अमरकंटक जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थल पर इस तरह की घटनाएं लोगों को भयभीत कर देती हैं लेकिन वन विभाग और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से यह मामला सफलतापूर्वक हल हो गया।