परियोजना अधिकारी ने कमिश्नर के आदेश को भी रखा ताक पर
सांची रायसेन से देवेंद्र तिवारी
वैसे तो महिला बाल विकास विभाग हमेशा से ही विवादों में उलझा रहता है परन्तु सांची महिला बाल विकास विभाग की अधिकारी कमिश्नर के आदेश को भी ताक पर रख कर मनमानी कार्यप्रणाली में पीछे नहीं दिखाई दे रही है।
ऐसा ही मामला भर्ती का सामने आया जब पहले स्थान पर आने वाली भर्ती प्रक्रिया का मखौल उड़ाते हुए दूसरे पर कर दिया दूसरे स्थान पर आने वाली पहले स्थान पर पहुंच गई । इस मामले में कमिश्नर के आदेश की भी धज्जियां उड़ाते देखा जा रहा है ।
जानकारी के अनुसार सांची महिला बाल विकास विभाग अंतर्गत ग्राम पग्नेश्वर की आंगनबाड़ी केंद्र 2 तहसील जिला रायसेन में आंगनबाड़ी सहायिका पद पर वर्ष 2016-17 में नियुक्ति हेतु चयन किया जाना था जिसमें श्रीमती संध्या लोधी व सुश्री केराबाई ने आवेदन किया था जिसमें आवेदिका संध्या लोधी का पहले स्थान पर तथा दूसरे स्थान पर केराबाई रही थी परन्तु महिला बाल विकास अधिकारी ने इस प्रक्रिया में हेराफेरी करते हुए पहले स्थान पर आने वाली आवेदिका को दूसरे स्थान पर तथा दूसरे स्थान पर आने वाली आवेदिका को पहले स्थान पर हेराफेरी का मामला सामने आया जिसमें दूसरे स्थान वाली को पहले स्थान पर कर नियुक्त कर दिया गया इस मामले की शिकायत संध्या बाई ने आपत्ति जताते हुए दूसरे स्थान पर आने वाली अभ्यर्थी को अवैध बताते हुए आरोप लगाया कि उसके दस्तावेजों में फर्जी बाडा कर नियुक्ति दे दी गई तथा उसने अनेक बार सांची महिला बाल विकास विभाग अधिकारी से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की परन्तु नहीं हो सकी तथा दूसरे नंबर पर आने वाली को पहले नं पर लाकर नियुक्त कर दिया गया था तब से संध्या बाई लगातार शिकायत करती रही तथा इस मामले को वह कमिश्नर तक लेकर पहुंच ग ई तब संयुक्त आयुक्त विकास भोपाल के पत्र क्र 1157/ दिनांक 15-4-22 के द्वारा कलेक्टर रायसेन को अवगत कराया गया कि संध्या लोधी पहले नं पर आने वाली पात्रता की श्रेणी में आती है इसकी आंगनबाड़ी सहायिका के रूप में नियुक्ति की जाकर कमिश्नर कार्यालय को अवगत कराया जाये परन्तु जो उस समय दूसरे नंबर पर थी उसे हेराफेरी करते हुए पहले नं पर लाना नियम विरुद्ध था इस पत्र के आधार पर पांच वर्ष कार्यरत रहने के बाद उसको पद से हटा दिया गया परन्तु पहले स्थान पर रहने वाली संध्या को नियुक्त नहीं किया जा सका । एवं महिला बाल विकास अधिकारी द्वारा कमिश्नर के आदेश को भी धता बताकर आदेश की धज्जियां उडा दी गई तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन की योजनाओं को कैसे धरातल पर क्रियान्वयन किया जाता होगा । तभी से ही संध्या लोधी कभी महिला बाल विकास विभागधिकारी सांची तथा अन्य अधिकारियों के चक्कर लगाने मजबूर हो चुकी है परन्तु कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पा रहा है तथा वह परेशानी उठाने पर मजबूर हो चुकी है परन्तु सुनने देखने वाला कोई नहीं तब कहीं न कहीं पांच वर्ष एक सहायिका को पद पर रखकर हटाना संदेहास्पद बनकर रह गया है तथा आवेदिका संध्या परेशानी उठाने पर मजबूर हो चुकी है इस मामले में आवेदिका ने पुनः 19-5-22 को आवेदन सौंपते हुए मांग की है कि उक्त आंगनबाड़ी में सहायक पद पर शीघ्र नियुक्त किया जाये । पुनः कमिश्नर कार्यालय द्वारा आवेदन के पालन में 4-4-22 को निर्देश दिए गए कि आवेदक को नियुक्त कर अवगत कराया जाये परन्तु न तो पत्र के परिपालन में ही कोई कार्यवाही हो सकी न ही नियुक्ति के सम्बन्ध में ही कोई आश्वासन ही मिल सका वैसे भी नगर की महिला बाल विकास विभाग अधिकारी के सेवा निवृत्त होने में लगभग छः महीने ही शेष रहे हैं जिस कारण वह कार्यालय भी न के बराबर ही उपस्थिति दर्ज करा पाती है जिससे लोगों को महिला बाल विकास विभाग के काम से आने वालों को यहां वहां भटकने पर मजबूर होना पड़ता है।