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सिवनी आदिवासी हत्याकांड: हटाए गए SP समेत पूरा थाना और चौकी स्टाफ

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तारकेश्वर शर्मा

भोपाल। मध्य प्रदेश के सिवनी में गौमांस की तस्करी के मामले दो आदिवासियों की मॉब लिंचिंग मामले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में SIT बनाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री ने सिवनी एसपी कुमार प्रतीक साथ-साथ थाना कुरई और बादलपार चौकी के पूरे स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश भी दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को गुना की घटना को लेकर बुलाई आपात बैठक में सिवनी की घटना पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो आदिवासियों की मौत और पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी से कराने के निर्देश दिए। उन्होंने एसआईटी से जल्द जांच कराने को कहा है। मुख्यमंत्री ने घटना क्षेत्र के पुलिस थाना कुरई थाना क्षेत्र और बादलपार चौकी के पूरे स्टाफ को तत्काल प्रभाव से हटाने के भी निर्देश दिए है।
15 को विशेष दल जाएगा सिवनी

गृह विभाग की तरफ से विशेष दल गठित किया गया है। इसमें गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अखेतो सेमा, माध्यमिक शिक्षा मण्डल के सचिव श्रीकांत भनोट शामिल है। यह दल 15 और 16 मई को सिवनी का दौरा करेगा। जहां आदिवासियों की मौत, पुलिस और प्रशासनक की कार्रवाई का अवलोकन करेगा। साथ ही ऐसी घटना को रोकने अपने सुझाव भी सरकार को देंगा।
कांग्रेस नेता बना रहे हैं इसे मुद्दा

सिवनी की घटना पर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस और बीजेपी के नेता पीड़ित परिवार से मिलने जांच दल भेज चुके है। बीजेपी की तरफ से भेजे जांच दल में आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले पदाधिकारी थे। इस दल ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह जांच दल में शामिल थे। उन्होंने बजरंग दल पर आदिवासी परिवार को घर में घुसकर हत्या करने का आरोप लगाया था।
एसआईटी की जगह उच्चस्तरीय जांच हो

पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि पहले सरकार पूरे मामले में लीपा पोती में लगी रही, आरोपियों को बचाने वाले बयान जिम्मेदार देते रहे, प्रशासन को क्लीन चिट देते रहे और अब सरकार आज एसआईटी जांच की घोषणा कर रही है? अभी भी जो घोषणा हुई है वो अधूरी है, कई ज़िम्मेदारों को बचा लिया गया है, दोषी अधिकारियों का निलंबन हो, एसआईटी जांच की बजाय उच्च स्तरीय जांच की घोषणा हो, आरोपियों का भाजपा से जुड़े संगठनो से कनेक्शन सामने आये।
कमलनाथ ने कहा कि नेमावर कांड में भी इसी प्रकार सरकार सीबीआई जांच से बचती रही और छह माह बाद सरकार ने सीबीआई जांच की माँग मानी। पता नही क्यों शिवराज सरकार आदिवासी भाइयों की इतनी विरोधी है, वह उनको न्याय दिलाना ही नही चाहती है।
2 मई को हुई थी दो आदिवासियों की हत्या

2 मई को सिवनी के कुरई के सिमरिया में तीन आदिवासियों को गोकसी का आरोप लगाकर पीटा गया। एक आदिवासी गंभीर रूप से घायल और दो की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में 9 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सरकार ने पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। इसके बावजूद आदिवासी वर्ग और स्थानीय लोगों में गुस्सा है। आदिवासी वर्ग से जुड़ा मामला होने से प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है।

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