सामुदायिक शौचालय बने शोपीस
-ग्रामीणों को नही मिल रहा लाभ
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट।
ग्राम पंचायतों में कागजों पर भले ही सामुदायिक शौचालयों का संचालन हो गया हो। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। यहां के अधिकतर गांवों में या तो सामुदायिक शौचालय अधूरे पड़े हैं या फिर उनके ताले ही नहीं खुल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों को अब भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। रायसेन के सांची ब्लॉक में शासन द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपये खर्च करके ग्राम पंचायत स्तर पर जो सामुदायिक शौचालय बनवाए गए थे। वह पूरी तरह जिम्मदारों के उदासीन रवैये की वजह से बेमकसद साबित हो रहे हैं। जो सिर्फ शो पीस बन चुके हैं। और इनका फायदा ग्रामीणों को नही मिल रहा है।जिले के सांची ब्लाक के अनेकों ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन को पंचायत सचिव व अधिकारी पलीता लगा रहे है। लाखों रुपए की लागत से बनाए गए सामुदायिक शौचालय में ताला लटक रहा है या फिर वह अधूरे पड़े हुए हैं तो किसी में गेट नहीं लगा गया है। लोगों को सुविधाएं देने के लिए भारी-भरकम बजट खर्च कर बनाए गए शौचालय का लाभ किसी को नहीं मिल रहा है। सामुदायिक शौचालय पर ताला लटकने से स्थानीय लोगों को लाभ तो दूर रखरखाव तक नहीं हो पा रहा है। निर्माण पूरा होने के बाद जिम्मेदारों द्वारा ताला नहीं खोला गया है। जिससे ग्रामीण इसका प्रयोग नही कर पा रहे हैं। जिनको मजबूरन शौच क्रिया के लिए खुले मैदान में जाना पड़ रहा है। वहीं ज़िम्मेदार अधिकारी शिकायतों के बाद भी इस तरफ ध्यान ना देकर अंजान बने हुए हैं।
इनका कहना है।
सांची ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली कई पंचायतों में सामुदायिक शौचालयों पर ताला डला रहता है। और स्थानीय ग्रामीण शौच क्रिया के लिए खुले मैदान में जाने को मजबूर हैं। शिकायतों के बाद भी ज़िम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान नही दे रहे हैं।
कैलाश गोस्वामी, समाजसेवी