सत्येंद्र जोशी
रायसेन। मत्स्य कृषक विभाग ने अंधा बांटे रेवड़ी चीन-चीन के दे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए आरके बाय योजना तालाब अनुदान की राशि बांट दी है। जबकि जो अनुसूचित जाति वर्ग के लोग हैं, ऐसे कई पात्रों को इसका फायदा नहीं मिला है। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है।
जानकारी है कि सांची ब्लॉक के तहत ग्राम पंचायत हिनोतिया में निवासी बलिराम पुत्र मोतीराम जाति गौड़ आदिवासी अनुसूचित जनजाति वर्ग का गरीब किसान है। बलिराम ने मछली पालन के लिए करीब डेढ़ एकड़ भूमि में तालाब खोदकर तैयार कर लिया है। पर विभाग को बार बार आवेदन देने के बावजूद भी बलिराम को अनुदान की राशि नहीं दी गई है। बलिराम ने बताया कि मैंने आरके बाय योजना अंतर्गत वर्ष 2020 में तालाब निर्माण कराया था। यह कि तालाब निर्माण का कार्य पूर्ण होने के उपरांत भी आज दिनांक तक सर्व सूची में नाम नहीं जोड़ा गया है और खाते में किसी भी प्रकार की कोई राशि नहीं आई है। बलिराम ने बताया कि मैंने कार्यालय सहायक संचालक मत्स्य उद्योग रायसेन में उक्त निर्माण कार्य पूर्ण होने की एक लिखित जानकारी 22 दिसंबर 20 में दी थी। परंतु आज दिनांक तक सर्वे सूची में नाम नहीं आया है। जबकि इस गांव में अन्य लोगों के नाम सर्वे सूची में आ गए हैं। उल्लेखनीय है कि गरीब किसान बलिराम अपना नाम सर्वे सूची में दर्ज कराने के लिए मत्स्य विभाग के कई चक्कर लगा चुका है। पता चला है कि विभाग द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के अलावा अन्य जाति के लोगों को इसका फायदा दिया गया है। बलिराम ने बताया कि विभाग में पदस्थ मालवी बाबू ना तो हमारी सुनते हैं और ना ही हमें योजना का लाभ दिला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बलीराम आदिवासी ने तालाब की अनुदान की राशि नहीं मिलने पर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज की थी। इसकी जांच मत्स्य कृषक विभाग के पास पहुंची थी। विभाग ने बलिराम से यह कहकर शिकायत वापस लेने को कहा कि तुम शिकायत वापस ले लो हम तुम्हारे तालाब की अनुदान की राशि तुम्हारे खाते में पहुंचा देंगे। बलीराम ने विभाग के कहने पर शिकायत वापस ले ली। बावजूद इसके उसके खाते में ना तो राशि डाली गई है और ना ही विभाग उसकी सुन रहा है। अब हालात यह है कि उसने उधार कर्ज लेकर तलाब खुदवाया था। गरीब पैसे को लेकर बहुत परेशान है। बारिश का समय आने वाला है। इससे पहले अनुदान की राशि मिल जाए तो उसका भला हो जाएगा। उसने जिला कलेक्टर अरविंद दुबे से अनुदान की राशि की मांग की है।