साँची से देवेंद्र तिवारी
सांची नगर परिषद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि साँची एक विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है। लेकिन नगरपरिषद में प्रभारी लेखापाल के आचरण के कारणों से यहां विकास कार्य अवरुद्ध हो रहे है वही स्वछता सर्वेक्षण अभियान भी प्रभावित हो रहा है। आये दिन ठेकेदारों,कर्मचारियो और सफाई कर्मियो से इन लेखापाल महोदय दुर्व्यवहार करते उनके बिल या वेतन देयक के भुगतान में विवाद रोज होते है।लेखापाल अपनी मर्जी से जिसका चाहते है पेमेंट करते है जिसका। चाहे नही।हाल यह है कि नगर परिषद के सीएमओ या प्रशासन की भी इसके सामने न चलती है और न ही उनके आदेश माने जाते है।हालात यह है कि लेखापाल के कारण विकास कार्य,सफाइकार्य और अन्य योजनाएं प्रभावित हो रही है।
नगर परिषद में एक लिपिक को लेखापाल के पद पर बैठा तो दिया परन्तु यह लेखापाल सीएमओ वह प्रशासक पर ही भारी दिखाई दे रहा है जिसका खामियाजा न केवल नगर वासी बल्कि कर्मचारी अधिकारी को भी भुगतना पड़ रहा है ।
सरकार इस नगर को इसकी प्रसिद्धि के अनुसार ढालने लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरहां बहा रही है परन्तु विकास धरातल से कौसो दूर रहकर मात्र कागजों की खानापूर्ति तक ही सिमट कर रह गया जिससे लोग परेशान हो उठे हैं । नगर परिषद में लेखापाल का पद रिक्त पड़ा हुआ है जिसपर काम चलाने नगर परिषद के स्थापना में पदस्थ लिपिक के सुपुर्द कर दिया गया है इसी के साथ इस विख्यात नगर के लेखा शाखा में एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को भी पदस्त किया गया जिससे लेखा शाखा का ढर्रा दिन ब दिन बद् से बत्तर हो चुका है कहने को तो नगर में लाखों करोड़ों खर्च कर स्वच्छता अभियान की धींगे भरने वाली नप इन दिनों बद् से बत्तर हालात में पहुंच चुका नगर के भीतरी भाग इन दिनों गंदगी की चपेट में जकड़े हुए हैं स्वच्छता अभियान भी मात्र मुख्य सड़कों का ही होकर बदहाली के दौर मे गुजरने मजबूर होना पड़ रहा है मच्छरों का प्रकोप बढ़ चुका है परन्तु इन पर अंकुश लगाने प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो चुका है यहां भुगतान के लिए लोगों को चक्कर काटते देखा जा सकता है देखा जा सकता है महीने गुजरने के बाद भी फाइल अकटकर महीनों चक्कर पर मजबूर होना पड़ता है इतना ही नहीं इस नप में जब ठेकेदारों के बड़े भुगतान की बारी आती है तब कमीशनखोरी के चलते भुगतान आधी रात में भी निपट जाते हैं इस शाखा में बैठे लोगों को न तो कर्मचारी ही संतुष्ट वह पाते हैं बल्कि कर्मचारी संगठनों की चेतावनी के बाद ही इनकी नींद टूट पाती है हालांकि आये दिन यहां कर्मचारियों की लेखा शाखा में नोंकझोंक होते आसानी से दिखाई दे जाती है ऐसा भी नहीं है कि इस लेखा शाखा की करतूतों से सीएमओ व प्रशासक एसडीएम भी वाकिफ न हो रात दिन काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों समय पर वेतन के भी लाले पड़े रहते हैं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी बताते हैं जब जब सरकार स्थाई करने जानकारी मांगती है तब तब यह लेखापाल जो स्वयं स्थापना शाखा के प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं तब इन कर्मचारियों के नियमितीकरण में स्थापना व्यय अधिक बताकर अड़ंगा लगा दिया जाता है यही हाल इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के पीएफ का भी बना हुआ है जो प्रतिमाह काटा तो जाता है परन्तु उनके बैंक खातों में जमा नहीं कराया जाता जिससे कर्मचारी परेशान रहते हैं इस लेखापाल को अनेकों बार कर्मचारियों ने मांग की परन्तु लेखापाल के दबदबे के सामने न तो सीएमओ ने ही प्रशासक की ही चल पाती है कर्मचारी वेतन तक के लिए भटकने पर मजबूर रहते हैं हाल ही में इन कर्मचारियों के वेतन के लिए मप्र नगर निगम नगर पालिका परिषद कर्मचारी संघ ने कर्मचारियों को शीघ्र वेतन करने सीएमओ आरडी शर्मा को आवेदन सौंपते हुए वेतन भुगतान करने की मांग की तथा नहीं होने की दशा में कलमबंद व काम बंद हड़ताल की जायेगी तब कहीं जाकर कर्मचारियों को वेतन करना पडा ।