सुरेन्द्र जैन
शासनोदय तीर्थ जबलपुर में विराजमान पूज्य निर्यापक श्रमण व श्रमण संस्कृति के सूर्य मुनि पुंगव108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा की लोग सुबह राम के पास शाम को रावण के पास जा रहे हैं
1.धर्म की परीभाषा-आजकल के नौजवान कहते है इतना अशांति के साथ धर्म करने के बजाय शांति से जो हो वह हमें करना हैं हमें अब धर्म की परिभाषा शांति, निराकुलता के बजाय अधर्म का ज्ञान कराओं, हिंसा का ज्ञान, अंशांति का ज्ञान कराओं हम खोटे को खोटा नही मान रहे हैं हम सुबह राम के पास शाम को रावण के पास जा रहे हैं।
2.धर्म में कलह-धर्म करने वालों में ज्यादा कलह होती है धर्म नही करने वालों में कलह नहीं होती है।सोलहे का भोजन करने में बहुत कलह होती है।अशद्ध भोजन में शांति होती है हमने धर्म में निराकुलता,शांति को धर्म बना दिया इससे जो सुधारवादी लोग वो धर्म से दूर हो रहे है अधर्म में जा रहे हैं।
3.हैं-सत्य अखंड होता है खंड नहीं होता हैं दुनिया में सबसे ज्यादा “हैं” शब्द को उपयोग होता है सत्य जो वह “है” शब्द से पहचाना जाता है संसार में है” शब्द जहाँ आता है वहां अस्तित्व शब्द आता है।खोरे देव को खोटा माने तो यह सम्यक है”पाप को पुण्य मानना मिथ्या है,पाप को पाप मानना सम्यक हैं वस्तु कभी सम्यक या मिथ्या नहीं होती है हमारी मान्यता से सम्यक या मिथ्या होती हैं। सत्य को ही नहीं असत्य को भी पहुंचानो
4.हमें जिस चीज को छोड़ना है उसको पहले पहचानों
प्रवचन से शिक्षा-मारना ही पाप नहीं,मर जाना बडा पाप हैं