–पानी के संकट जूझ रहा मुश्काबाद गांव, एक हैंडपंप पर निर्भर है पूरा गांव
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की ग्राउंड रिपोर्ट
सरकार ग्रामीण अंचलों में जल जीवन मिशन के तहत हर घर में पानी पहुंचाने का दावा कर रही है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आज भी अनेकों गांव पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। हालात यह है कि दूर-दूर से पीने का पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। बारिश के मौसम के दौरान भी क्षेत्र में जल संकट की स्थिति बनने लगी है।ऐसा ही कुछ हाल है सांची विकासखंड के गांव मुश्काबाद में पिछले कई सालों से पीने के पानी की एक एक बूंद के लिए ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ता है। गांव पहाड़ी किनारे ऊंचाई पर बसा हुआ है। गांव की महिलाओं को काफी नीचे से पानी को हैंड पंप से भरकर ऊंचाई पर लाना पड़ता है। पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद करना पड़ती है। गांव में पीने के पानी के लिए पीएचई विभाग द्वारा नल जल योजना की स्वीकृति मिली। जैसे तैसे गांव में पानी की टंकी बनी तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली कि अब समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन पानी की समस्या वहीं की वहीं है। जानकारी होने के बाद भी ज़िम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान नही दे रहे हैं।
–टंकी 6 महीने बीत जाने के बाद भी बनी हुई है शो पीस
– मुश्काबाद गांव में नल जल योजना के लिए पानी की टंकी तो बना दी। लेकिन वो भी 6 महीने से शो पीस बनी हुई है। क्योंकि पाइप लाइन ही नही बिछाई गई। पीएचई विभाग के ठेकेदार का कोई अता पता नहीं है। जिससे ग्रामीणों के अरमानों पर पानी फिर गया है। और नल जल योजना ठप पड़ी हुई है। ग्रामीणों को पानी के लिए हैंडपंप से पानी लाने को मजबूरी बनी हुई है। इतना ही नहीं पानी के नंबर को लेकर महिलाएं आपस में उलझते हुए देखी जा रही है। नल जल योजना के तहत बनाई गई पानी टंकी शो-फीस बन गई हैं। ग्रामीण पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। सरकार ने गांव में पानी की समस्या से निपटने के लिए कुछ ही माह पूर्व लाखों रुपया खर्च कर पानी टंकी का निर्माण कार्य किया था। लेकिन घरों तक पानी भेजने के लिए पाइप लाइन अब तक नही बिछाई गई है। पीएचई विभाग के ठेकेदार का अधूरा काम करने के बाद अब तक कोई पता नहीं है। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी पीएचई अफसर व कर्मचारी जल संकट से मुक्ति नहीं दिला पा रहे है। ग्रामीणों के अनुसार नल जल योजना पूरी होने का दावा तो किया जाता है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही समाने नजर आ रही है। पेयजल को लेकर ग्रामीण मांग कर चुके हैं। लेकिन ग्रामीणों की मांग को तवज्जो नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के लिए हैंडपंप पर निर्भर बने हुए हैं।
इनका कहना है
गांव की जनता पानी के लिए परेशान है। पूरे गांव में 1 ही हैंडपंप है। महिलाएं व बच्चे सुबह से ही पानी के लिए परेशान होते हैं। नलजल योजना में पानी की टंकी तो बन गई। लेकिन आज तक शुरू नही हो पाई। पाइप लाइन आई थी। बाद में वो भी उठाकर ले गए। अगर शीघ्र ही हमारी समस्या का समाधान नही हुआ तो हम आंदोलन करेंगे।
जाहिदा बी, स्थानीय महिला
पानी भरने के चक्कर में हम लोग मजदूरी करने नही जा पा रहे हैं। गांव में 1 ही हैंडपंप है जो लगभग पचास घरों के पीने के पानी का सहारा है। गांव में टँकी बनी तो हम लोग खुश हुए की अब पानी की समस्या समाप्त हो जाएगी। लेकिन समस्या वहीं की वहीं है।
सुमेर बाई, स्थानीय महिला
मुश्काबाद गांव में 2 हैंडपंप है। लेकिन 1 हैंडपंप का पानी पीने योग्य नही है। पूरा गांव 1 ही हैंडपंप के सहारे अपनी प्यास बुझा रहा है। नलजल योजना से पानी की टंकी तो बना दी गई वो भी 6 महीने से शो पीस बनी हुई है। क्योंकि पानी की पाइप लाइन नही बिछाई गई। ज़िम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान नही दे रहे हैं। जिसकी वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
राजेंद्र विश्वकर्मा, स्थानीय ग्रामीण