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दीवानगंज के पास स्थित देहरी गांव में चल रही भागवत कथा

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मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन

दीवानगंज के पास स्थित देहरी गांव में चल रही भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक श्रीश्री 1008 यज्ञ देव चैतन्य महाराज और पंडित राकेश उपाध्याय द्वारा श्री कृष्ण जन्म और गोवर्धन पर्वत उठाने के विषय में विस्तार पूर्वक बताया। और कहां की जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा ,सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था।
भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए, भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन कीर्तन कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई। कथा के पांचवें दिन कथा वाचक ने कहा कि गोकुल के निवासी देवराज इंद्र से बहुत भयभीत रहते थे। उन्हें लगता था कि देवराज इंद्र ही धरती पर बारिश करते हैं। नगरी के सभी निवासी इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी बहुत पूजा किया करते थे, ताकि गोकुल पर इंद्रदेव की कृपा बनी रहे। एक बार श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को समझाया कि इन्द्र देव की पूजा में अपना समय बर्बाद करने से अच्छा है कि तुम लोग गाय-भैंसों की पूजा करो। ये तुम्हें दूध देती हैं। ये पशु सम्मान के अधिकारी हैं।गोकुलवासी श्री कृष्ण की बात जरूर मानते थे। उन्होंने इंद्रदेव की जगह पशुओं को मान-सम्मान देना शुरू कर दिया। जब इन्द्र देव ने देखा कि अब कोई भी उनकी पूजा नहीं कर रहा है, तो वह इस अपमान से तिलमिला उठे। इन्द्र देव ने गुस्से में आकर गोकुलवासियों को सबक सिखाने का निर्णय लिया। भगवान इंद्र ने बादलों को आदेश दिया कि गोकुल नगरी तब तक तुम बरसते रहो, जब तक वह डूब न जाए। इन्द्र देव का आदेश पाकर बादलों ने गोकुल नगरी पर बरसना शुरू कर दिया। गोकुल नगर में ऐसी बारिश कभी नहीं हुई थी। चारों ओर पानी ही पानी नजर आने लगा। पूरे नगर में बाढ़ आ गई। गोकुलवासी घबरा कर श्री कृष्ण के पास पहुंचे। श्री कृष्ण ने सभी गोकुलवासियों को अपने पीछे चलने का आदेश दिया। गोकुलवासी अपनी गाय और भैंस साथ लेकर श्री कृष्ण के पीछे-पीछे चल दिए। श्री कृष्ण गोवर्धन नाम के पर्वत पर पहुंचे और उस पर्वत को अपने हाथ की सबसे छोटी ऊंगली पर उठा लिया। सभी गोकुल निवासी उस पर्वत के नीचे आकर खड़े हो गए। श्री कृष्ण का यह चमत्कार देखकर भगवान इंद्र भी भयभीत हो गए। उन्होंने वर्षा बंद कर दी। यह देखकर गोकुल वासी खुश हो गए और अपने-अपने घर को लौट गए। इस तरह श्री कृष्ण ने अपनी शक्ति से गोकुलवासियों की जान बचाई।

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