धीरज जॉनसन की रिपोर्ट
दमोह । गर्मियों के मौसम में धरती सहित वातावरण भी तपने लगता है और भूमिगत जल कम हो जाता है ऐसे समय में लोगों का मुख्य ध्यान जलापूर्ति के लिए होता है वर्तमान समय में जहां पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है लोग विभिन्न साधनों से दिनरात दूर दूर से पानी घरों तक ला रहे है जिसमें परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्य सहयोग करते दिखाई देते है तो जिले में कुछ ऐसे ग्राम भी है जो गर्मियों के समय में भी निश्चिंत है क्योंकि उनके गांव के पास से नदी गुजरती है जिसका वे भरपूर फायदा लेते है।
पर वे यह भूल जाते है कि टेस्टिंग किये बिना पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योकि पानी में घुली कुछ चीजें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखी जा सकती है,अगर नदी का पानी बहना बंद हो जाए तो उसके सूक्ष्म प्लांट्स खराब हो जाते है जिससे जमा पानी गन्दा हो जाता है जिसका क्लोरीनेशन करना पड़ता है या इस्तेमाल के पहले ब्लीचिंग डाला जाता है, परंतु शहर से लगभग 30 किमी दूर ग्राम देवरी जमादार के निकट से गुजरती ब्यारमा नदी पर स्थाई कनेक्शन और पानी के सप्लाई के लिए पाइप लाइन देखी जा सकती है
जिससे पानी खेतों और गांव तक जाता है आश्चर्य यह है कि पिछले पांच-छह सालों से यह प्रक्रिया जारी है परंतु किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया और नदी के पानी का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है और ग्रामीण इसका इस्तेमाल कर रहे है जबकि स्थानीय प्रशासन द्वारा समय समय पर निर्धारित किया जाता हैं कि गर्मियों के मौसम में सार्वजनिक कार्यों में नदी नालों के पानी का कम से कम उपयोग हो पर इस पर लोग ध्यान नहीं देते या ग्रामों में पानी की पर्याप्त-अपर्याप्त व्यवस्था होने के कारण नदियों से प्रबंध कर लेते है।
न्यूज स्रोत:धीरज जॉनसन