सिलवानी रायसेन से देवेश पाण्डेय
होली- रंगपंचमी होते ही और तापमान एकदम से बढऩे से किसानों ने बुधवार से ही गेहूं की कटाई तो शुरू कर दी है, लेकिन डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण हार्वेस्टरों के भी रेट बढऩे और और जिले में श्रमिकों की कमी के चलते फसल कटाई की लागत बढऩे से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों के अनुसार 100 से अधिक बड़े हार्वेस्टर खेतों में कटाई शुरू कर चुके हैं। बड़े किसानों ने तो जिले से बाहर हार्वेस्टर बुलवाएं हैं, जोकि डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण रेट बढ़ाकर बता रहे हैं।
एकाएक तापमान बढऩे से और खेतों में आग लगने की खबरों के बाद किसान सतर्क हो गए। रंगपंचमी होते ही कुछ फसल ठंडी भी है, तो किसान कटवाने के लिए मजबूर हो रहे हैं और खलिहान में थोड़ा बहुत सुखा रहे हैं। किसान स्थानीय एवं पंजाब से आए हार्वेस्टरों से गेहूं की कटाई करवा रहे हैं। इस वर्ष डीजल की कीमतें बढऩे से हार्वेस्टर की कटाई की कीमतों में वृद्धि हुई है। इससे भी किसानों पर अतिरिक्त भार पड़ा है। जो बाहर से मजदूर आते थे, उनका भी कोरोनाकॉल के बाद से गांवों में आना कम हो गया है। चूंकि हार्वेस्टर से कटाई शीघ्र हो जाती है। मजदूरों से कटाई में बहुत समय लगता है। इस कारण किसान हार्वेस्टर से अपनी फसल को कटवाना पसंद करते हैं, जिससे जल्दी कटाई होने के बाद खेत खाली होते ही मूंग बोने में आसानी हो जाती है।
हार्वेस्टरों ने डीजल की कीमतें बढऩे के बाद प्रति एकड़ में 100 से 200 रुपए की बढ़ोत्री कर दी है। पिछले साल हार्वेस्टर 1200 रुपए एकड़ ले रहे थे। इस बार डीजल के रेट बढऩे से 1300 से 1400 रुपए के रेट बता रहे हैं। किसान पंजाब से आए हार्वेस्टरों के अलावा स्थानीय ट्रैक्टरों से बनेे हार्वेस्टरों की मदद फसल कटाई में लेते हैं।
कोरोना काल में बाहर गए श्रमिकों का आना बंद हो गया है। चूंकि तापमान भी बढऩे लगा है। ऐसे में खेतों में बिजली की चिंगारी से आग फैलने का डर रहता है। इसलिए हमने फसल कटाई आज से शुरू कर दी है। हालांकि डीजल की कीमतें बढऩे से हार्वेस्टर के रेट भी बढ़ गए हैं। इससे लागत पर असर पड़ेगा। –
रामबाबू रघुवंशी किसान ।