1952 से 2018 तक कभी नहीं चला धरसीवा में जातिवाद,ब्राह्मण वर्ग के प्रत्याशियों को सर्वाधिक बार मिली जीत
सुरेन्द्र जैन रायपुर
धरसीवा विधानसभा क्षेत्र में 1952 से 2018 तक कभी जातिवाद हावी नहीं हुआ बल्कि जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद की भावना से यहां के मतदाताओं ने उम्मीदवारों को वोट देकर जिताया है इंसका प्रमाण यह है कि जिस ब्राह्मण समाज के नाम मात्र के वोट है उस समाज से संबंधित उम्मीदवार को सर्वाधिक बार प्रतिनिधित्व का अवसर मिला एक बार यहां से अग्रवाल समाज के उम्मीदवार को भी मतदाताओं ने प्रतिनिधित्व का अवसर दिया।
धरसीवा विधानसभा में सर्वाधिक संख्या मनवा कुर्मी समाज साहू समाज और सतनामी समाज की है जबकि ब्राह्मण अग्रवाल जैन मुस्लिम वर्ग की संख्या बहुत कम है बाबजूद इसके इस विघ्यन सभा से ब्राह्मण समाज से संबंधित उम्मीदवारों के प्रति मतदाताओं का सर्वाधिक बार समर्थन देखने को मिला और जब ब्राह्मण समाज की नारी शक्ति के रुप में 2013 में पहली बार कांग्रेस से कोई महिला उम्मीदवार के रूप में श्रीमती अनिता शर्मा को भाजपा के देवजीभाई पटेल के खिलाफ मैदान में उतारा तो महिलाओं प्रत्याशी के प्रति जनता का अधिक रुझान देखने को मिला क्योकि भाजपा के देवजीभाई पटेल लगभग 2200 वोट से ही जीत दर्ज करा पाए थे इसी कारण कांग्रेस ने अनिता योगेंद्र शर्मा को पुनः 2018 में मैदान में उतारा तो उन्होंने भाजपा के 3 बार विधायक रहे देवजी भाई पटेल को लगभग बीस हजार वोट से हराया था यानी मतदाताओं ने कभी जातिगत आधार पर वोट नहीं दिए बल्कि राष्ट्रवाद को सर्वोपरि मानते हुए जागरूक मतदाता की भूमिका निभाई है और यह विधानसभा सर्वाधिक स्वतंत्रता सेनानियों के गढ़ रहने से भी यह स्प्ष्ट होता है कि इस विधानसभा के लोग राष्ट्रवाद को ही शुरू से सर्वोपरि मानते हैं ।
आइए जानते हैं कब कौन जीता
धरसीवा विधानसभा स्वतंत्रता सेनानी व प्रथक छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न दृष्टा डॉ खूबचन्द बघेल की जन्म व कर्मभूमि है डॉ खूबचन्द बघेल आजादी के बाद क्षेत्र को पूर्ण साक्षर बनाने की दिशा में आगे बढ़े 1952 व 1957 के चुनाव में वह प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के झोपड़ी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़कर जीते 1962 में उन्होंने सिलयारी में एक स्कूल की स्थापना की ताकि गांव गांव के बच्चे शिक्षित हों बर्तमान में वह डॉ खूबचन्द बघेक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से प्रसिद्ध है
1962 में यहां से हरिप्रेम बघेल जीते 1967 व 1972 में लगातार दो बार मुन्नालाल शुक्ला कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते 1977 में अश्वनी दुबे जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते 1980 के मध्यावधि में कांग्रेस के दौलतराम वर्मा जीते इसके बाद 1985 में रामेश्वर गिरी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते 1990 में श्याम सुंदर अग्रवाल भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीते 1993 के मध्यावधि चुनाव में भाजपा से बालाराम वर्मा जीते 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधान मिश्रा जीते ओर अविभाजित मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल में उधोग मंत्री बने इसके बाद छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बनने के बाद पहली बार हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में देवजीभाई पटेल चुनाव जीते वह 2003 -2008 व 2013 में लगातार 3 बार यहां से चुनै गए लेकिन 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी अनिता योगेंद्र शर्मा से भाजपा के देवजीभाईं पटेल चुनाव हार गए
1952 से अब तक जीते उम्मीदवारों में श्याम सुंदर अग्रवाल और ब्रह्मण समाज से संबंधित उम्मीदवारों की सर्वाधिक बार जीत से स्प्ष्ट है कि यह विधानसभा जातिवाद के चक्रव्यूह में कभी नहीं फंसा ओर जब अनिता शर्मा के रुप में कोई चुनाव लड़ी तो उनकी शानदार जीत से यह भी स्प्ष्ट हुआ कि महिलाओं को यहां पुरुषों की अपेक्षा अधिक समर्थन मिलता है।