नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा ‘सिंधी लेखकों का अन्य भाषाओं में योगदान’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य अकादेमी सभागार में आयोजित संगोष्ठी में आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा भारत बहुभाषी – संस्कृतियों का देश है। हमारी भाषायी-सांस्कृतिक बहुलता ही हमें एक सूत्र में बाँधती है। सिंधी लेखकों ने अपने लेखन में न केवल भाषा-संस्कृति को सृजन में सम्मिलित किया बल्कि सिंधी साहित्य में इतिहास की झलक भी मिलती है। साथ ही उन्होंने कहा कि सिंधी लेखकों ने अन्य भाषाओं में भी विपुल और उल्लेखनीय सृजन किया है। इस अवसर सिंधी परामर्श मंडल के संयोजक नामदेव ताराचंदानी ने बीज वक्तव्य में सिंधी लेखकों के अन्य भाषाओं में सृजनात्मकता योगदान को सविस्तार रेखांकित किया।
उन्होंने हिंदी, अंग्रेज़ी, पाली सहित अन्य भाषाओं में सिंधी लेखकों द्वारा किए गए कार्य को युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बताया। संगोष्ठी के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता सिंधी के सुप्रसिद्ध लेखक, आलोचक मोहन गेहाणी ने की।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने लेखक और अकादेमी के प्रथम सचिव कृष्ण कृपालानी के सृजन एवं जीवन, राम जवाहरानी ने (भगवान गिदवानी), J मोहन हिमथाणी (मोहन दीप), अशोक मनवाणी (राजकुमार केसवानी), वीना शृंगी (नारायण सामताणी) ने आलेख – पाठ किया। संगोष्ठी के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध सिंधी साहित्यकार हीरो ठाकुर ने किया। इस अवसर पर नामदेव ताराचंदानी (अनिता मूरजाणी), मोहन गेहाणी (सुनील खिलनानी), साज़ अग्रवाल (मुरली मेलवानी), मीनू प्रेमचंदानी (नंदिता भावनानी) ने आलेख – पाठ किया। इस अवसर पर ढोलण राही द्वारा लिखित हिंदी लेखिका जया जादवानी के सृजन पर केन्द्रित आलेख का पाठ सिंधी युवा लेखक जयेश शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संयोजन साहित्य अकादेमी, मुंबई प्रभारी अधिकारी ओम प्रकाश नागर ने किया।