ग्वालियर। थाटीपुर थाना क्षेत्र में 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हुए उपद्रव के मामले में जिला न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद सभी आरोपितों के खिलाफ दर्ज हत्या के प्रयास की धारा को हटा दिया है। इस मामले में कुल 19 आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज है।
दो अप्रैल को हुए उपद्रव में उपद्रवियों द्वारा की गई फायरिंग में किसी राकेश को गोली मारने की बात सामने आई थी, लेकिन पुलिस की जांच में न तो कोई राकेश सामने आया और न ही कोई काेई गोली मिली। यहां तक कि इस मामले में 31 गवाहों में से सिर्फ 3-4 गवाहों ने ही किसी राकेश नामक व्यक्ति को गोली लगने की पुष्टि की थी। इस आधार पर जिला न्यायालय ने आइपीसी की धारा 307 को हटा दिया। बता दें कि थाटीपुर थाने मे दर्ज शिकायत में सभी आरोपितों पर प्रदर्शन रैली निकालने के दौरान सामाजिक रूप से हिंसा फैलाने के उद्देश्य से दुकानों-होटलों में तोड़फोड़ करना, लोगों के वाहन क्षतिग्रस्त करना, पथराव व फायरिंग करने का आरोप है।
फैमिली कोर्ट के क्लर्क की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
फैमिली कोर्ट में क्लर्क अशोक पाल, उनकी पत्नी सावित्री पाल और बेटे नीरज पाल के खिलाफ दर्ज हुए 304 बी और 498 ए के मामले में जिला न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। इन पर आरोप है इन्होंने अपनी आठ माह की गर्भवती बहू रिशु बघेल को कोई दवा पिलाई, जिससे पहले गर्भ में पल रही जुड़वा बेटियों की मौत हुई और फिर बहू की भी मौत हो गई। यहां बता दें 19 जुलाई 2023 को झांसी रोड थाने पहुंचकर मृतका रिशु बघेल के पिता महेश बघेल ने बताया था कि बेटी के ससुराल वाले उसे दहेज के लिए परेशान करते थे। उसे तो फोन कर बताया था कि बेटी की अचानक तबीयत खराब हो गई है।
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