हिंदू धर्मग्रंथों से लेकर ज्योतिष शास्त्र में भी सूर्य को अर्घ्य देने की बहुत महत्ता बताई गई है। खास तौर पर सुबह-सुबह नहाने के बाद सूर्य की पूजा करने और उन्हें जल अर्पित करने की बहुत प्राचीन परंपरा रही है। माना जाता है कि कलयुग में सूर्यदेव ही एकमात्र साक्षात दिखाई देने वाले देवता हैं. जो व्यक्ति प्रात: काल सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना करता है, उसके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन बारिश के मौसम ने कई बार बादल छाने की वजह से सूर्य के दर्शन नहीं होते। ऐसे में मन में आशंका आती है कि सूर्य को अर्घ्य कैसे दें और अर्घ्य देने से लाभ मिलेगा भी या नहीं।
बारिश में अर्घ्य
इंदौर के पंडित प्रफुल्ल शर्मा के अनुसार बादलों के होने से सूर्य की शक्ति कम नहीं होती। इसलिए बारिश के दिनों में भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य का ध्यान करें और उन्हें जल अर्पित करें। सूर्योदय के बाद, बादलों के बावजूद सूर्य की रश्मियां आसमान में तो होती हैं, इसलिए सूर्य को जल चढ़ाने का पूर्ण फल मिलता है। इसके अलावा आप रविवार के दिन सूर्य मंदिर में जाकर दर्शन-पूजन कर सकते हैं।
इन नियमों का रखें ध्यान
- हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
- सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करें। जैसे – ऊँ घृणि सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम: आदि।
- यदि कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति अच्छी नहीं हो, तो रोजाना सूर्य को जल चढ़ाएं। ऐसा करने से कुंडली में मौजूद सूर्य दोष दूर होते हैं।
- अगर कोई रोग लंबे समय से पीछा नहीं छोड़ रहा हो, तो सूर्य की उपासना करें और रोजाना जल चढ़ाएं।
- प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को भी रोजाना सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
डिसक्लेमर
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