भोपाल। संस्कृति विभाग द्वारा संचालित मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (एमपीएसडी) में पहली बार दो वर्षीय डिप्लोमा इन ड्रामेटिक आर्ट कोर्स प्रारंभ हुआ है। इससे पूर्व यहां एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स का संचालन किया जा रहा था। 2023-2025 का शैक्षणिक सत्र 24 जुलाई से उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत एवं कला अकादमी के भवन में शुरू हो रहा है। इससे पूर्व विगत दिनों हुए दीक्षा समारोह में संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने पाठ्यक्रम पूरा कर चुके कलाकारों को प्रमाण-पत्र दिए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
मप्र नाट्य विद्यालय के निदेशक टीकम जोशी ने बताया कि सत्र 2023-25 के लिए चयन प्रक्रिया तय समय में पूरी कर ली है। देश के विभिन्न क्षेत्रों के 26 प्रतिभागियों का चयन हुआ है। मप्र से सर्वाधिक 17 और उत्तर प्रदेश के तीन युवाओं का चयन पहली बार शुरू हो रहे दो-वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए हुआ है। भोपाल के चार युवा कलाकारों ने विद्यालय में अपनी सीट सुरक्षित की है। बाहर के विद्यार्थियों के आने में हुई देरी की वजह से कक्षाएं सोमवार से शुरू हो पा रही हैं। उन्होंने बताया कि नए और पुराने कोर्स में ज्यादा अंतर नहीं है, बस थोड़ा विस्तार दिया गया है। यह थ्योरी और एथेस्टिक जैसी नाट्य कलाओं से संबंधित होगा। पहले दो प्रोडक्शन होते थे अब चार होंगे।
अपर्याप्त था एक वर्षीय डिप्लोमा
वर्तमान में संस्थान में नाट्य कला में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाया जा रहा था, जिसमें 26 सीटों पर देश भर से युवा कलाकार प्रवेश लेते थे। लेकिन यह अवधि बहुत कम थी। इससे प्रतिभागी ज्यादा कुछ सीख नहीं पाते थे और डिप्लोमा उनके करियर को आगे बढ़ाने में सहायक नहीं था। यही वजह है वर्ष 2011 से शुरू हुए नाट्य विद्यालय से आज तक कोई बड़ा कलाकार नहीं निकल सका है।
स्कूल के दसवें बैच की छात्रा रहीं नाटक अभिनेत्री पूजा मालवीय बताती हैं कि एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में डायरेक्शन का प्रशिक्षण नहीं मिलता था, पर डायरेक्शन करना पड़ता था। इंटर्नशिप की अवधि भी लंबी थी। एक्टिंग के लिहाज से दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स सही है। कलाकारों को अपने अभिनय को निखारने का मौका मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि संस्कृति विभाग की पहल पर स्कूल को राजा मानसिंह तोमर कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से संबद्धता मिलने के बाद इस बार से दोवर्षीय पीजी डिप्लोमा इन ड्रामेटिक आर्ट में प्रवेश दिए गए हैं। गत माह हुई अंतिम चयन कार्यशाला में 86 बच्चों को बुलाया गया था, जिनमें से 26 का चयन चयनकर्ताओं ने साक्षात्कार के आधार पर किया है।
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