इस साल होलिका दहन 17 मार्च दिन गुरुवार को है. होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात में करते हैं. होलिका दहन के लिए पहले से ही तैयारी की जाती है. इसके लिए अपने घर के पास के चौराहे या पार्क में लकड़ियां, गोबर की उप्पले, कंडे आदि एकत्र किए जाते हैं. फाल्गुन पूर्णिमा की रात शुभ मुहूर्त में विधि विधान से पूजा करते हैं और फिर होलिका दहन करते हैं. इसमें भी इस बात का ध्यान रखते हैं कि होलिका दहन के समय भद्रा न हो. आइए जानते हैं होलिका दहन के मुहूर्त मंत्र, पूजा विधि पूजन सामग्री आदि के बारे में.
होलिका दहन मुर्हूत 2022
होलिका दहन 17 मार्च दिन, गुरुवार को देर रात 01:29 बजे से होलका दहन का मुहूर्त है.होलिका दहन का मुहूर्त: भद्रा पूंछ में, रात 09:06 बजे से 10:16 बजे के मध्य
होलिका पूजन सामग्री
1. अक्षत्, गंध, गुड़2. फूल, माला3. रोली, गुलाल4. कच्चा सूत, हल्दी5. एक लोटे में जल6. नारियल, बताशा7. गेहूं की बालियां, मूंग आदि.
होलिका पूजन मंत्र
होलिका के लिए मंत्र: ओम होलिकायै नम:भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र: ओम प्रह्लादाय नम:भगवान नरसिंह के लिए मंत्र: ओम नृसिंहाय नम:
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका पूजा के लिए आप सबसे पहले उत्तर या पूर्व की दिशा में मुख करके बैठें. उसके बाद गणेश और गौरी की पूजा करें. हर पूजा में सर्वप्रथम गौरी-गणेश की पूजा होती है. इसके बाद ओम होलिकायै नम: मंत्र के उच्चारण से होलिका की पूजा करें. फिर ओम प्रह्लादाय नम: मंत्र से भक्त प्रह्लाद और ओम नृसिंहाय नम: मंत्र से भगवार नरसिंह की पूजा करें. बारी-बारी से इनको अक्षत्, फूल, रोली, गंध आदि अर्पित करते हैं. फिर हनुमान जी, शीतला माता, पितरों की पूजा करते हैं.
इसके बाद सात बार परिक्रमा करते हुए होलिका में कच्चा सूत लपेटते हैं. उसके बाद जल, नारियल और अन्य पूजा सामग्री होलिका को चढ़ा देते हैं. उसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं. होलिका की आग में गेहूं की बालियों को सेंक कर स्वयं खाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति निरोगी रहता है.