देवेंद्र तिवारी सांची रायसेन
वैसे तो इस स्थल की प्राचीन प्रसिद्धि को देखते हुए सरकारें इस स्थल को इसके अनुरूप ढालने का प्रयास करती रही परन्तु इस स्थल का विकास मात्र कागजी बनकर रह गया तथा सरकारी लाखों करोड़ों रुपए विकास के नाम पर ख़र्च होते रहे बावजूद इसके विकास कोसों दूर दिखाई दे रहा है।
जानकारी के अनुसार इस नगर की प्रसिद्धि अपने आप में पुरातात्विक धरोहर के रूप में विख्यात है यही कारण रहा जब इस स्थल को और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने तथा विश्व भर में पहचान दिलाने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस स्थल के बौद्ध स्मारकों को भारतीय करेंसी पर अंकित किया गया था तब इस स्थल की ख्याति और अधिक बढ़ गई ।
दोसौ रुपए के नोट पर अंकित पुरातत्व स्मारक
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस स्थल को विश्व में और अधिक ख्याति दिलाने दोसौ रुपए के नोट पर ढाई हजार साल पुराने विश्व विख्यात ऐतिहासिक बौद्ध स्मारकों को अंकित कराने में अहम भूमिका निभाई । जिससे इस स्थल पर अधिक से अधिक देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके तथा विश्व भर में भारतीय करेंसी के माध्यम से इस स्थल के नाम को भेजा गया ।इस स्थल के विकास में सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
इस स्थल के कायाकल्प बदलने राज्य एवं केन्द्र सरकार लगातार प्रयास रत रहकर विकास का जामा पहनाने में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है जिससे इस स्थल के अनुरूप इसे ढाला जा सके तथा इस स्थल को और अधिक सुंदर बनाया जा सके जिससे इस स्थल पर अधिक से अधिक पर्यटक आ सके तथा सरकार के साथ ही इस स्थल के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके ।
विकास में स्थानीय प्रशासन की नहीं रही रुचि
वैसे तो इस स्थल को विकास का जामा पहनाने तथा विकास की रफ्तार बढ़ाने स्थानीय सरकार को अस्तित्व में लाया गया । परन्तु स्थानीय प्रशासन द्वारा लाखों करोड़ों रुपए फूंकने के बाद भी नगर का विकास मात्र कागजी बनकर रह गया । ऐसा भी नहीं है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा विकास के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए पर पलीता लगाने के मामले चर्चित न हुए हों बावजूद इस पर न तो प्रशासन न ही शासन ही अंकुश लगा सका । जिससे कहीं कोई विकास होता नहीं दिख सका । जिससे लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं हो सकी । यहां तक कि इस स्थल पर काबिज जनप्रतिनिधियों की विकास के नाम पर खींचतान भी किसी से छिपी नहीं रही । जिससे इस स्थल का विकास पूरी तरह थमकर रह गया ।
नगर में मूलभूत सुविधाओं का टोटा
वैसे तो इस स्थल पर नगर परिषद प्रशासन ने इस स्थल के विकास का जिम्मा संभाल रखा है तथा इस स्थल के रहवासियों पर विभिन्न करो का बोझ डाल दिया गया है तथा विभिन्न करो के रूप में लाखों करोड़ों रुपए की वसूली भी की जाती है इसके बदले रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया गया है परन्तु लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराने में स्थानीय प्रशासन पूरी तरह असफल साबित हो चुका है । नगर में न तो ठीक सड़क न ही पानी निकासी हेतु कहीं कोई नाली ही दिखाई देती है जिससे सड़कों पर खुलेआम पानी बहता दिखाई दे जाता है तथा नगर में जगह जगह गढ्ढे पानी से भरे तथा गंदगी में सराबोर देखें जा सकते हैं ।
सरकार के स्वच्छता के नाम पर करोड़ों खर्च फिर भी गंदगी ने पसारे पांव
इस स्थल पर सरकार के स्वच्छता अभियान की खुलेआम धज्जियां तब उड़ गई जब इस स्थल को सुंदर स्वच्छ बनाए रखने सरकार ने लाखों करोड़ों रुपए आवंटित कर दिए तथा स्वच्छता अभियान मात्र नीचे से ऊपर तक सरकार की राशि का बंदरबांट होकर अभियान कागजी खानापूर्ति बनकर रह गया । कुछ मामले उजागर भी हुए परन्तु वह भी दबकर रह गए ।तब इस स्थल को गंदगी ने अपनी आगोश मे जकड़ लिया । इतना ही नहीं कचरा प्लांट में लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद भी वह उपयोगी साबित नहीं हो सका । नगर में जगह जगह कचरा ढेरों के रूप में दिखाई देने लगा तथा इस गंदगी की बू भी लोगों को परेशानी का सबब बन गई तथा लोगों में विभिन्न बीमारियों के फैलने की आशंकाएं बढ़ गई । स्थानीय प्रशासन को सुध लेने की फुर्सत नहीं रही।
स्थानीय प्रशासन की असफलता से अतिक्रमण हावी
इस स्थल की प्रसिद्धि को स्थानीय प्रशासन ने दरकिनार करते हुए नगर में फैली सरकारी भूमि को लचर व्यवस्था के चलते अतिक्रमण की भेंट चढवा दी । अतिक्रमण कारियों ने सड़कों तक को अपनी चपेट में ले लिया इतना ही नहीं प्रशासन की ढीली व्यवस्था के चलते सरकारी भूमि का बेचने खरीदने का व्यवसाय बन गया ।
विश्व विख्यात पर्यटक स्थल पर अंधेरे का साम्राज्य,विद्युत वितरण कंपनी नाकाम
वैसे तो इस स्थल को रोशन करने जहां स्थानीय प्रशासन द्वारा करोड़ों रुपए की बिजली सामग्री खरीद फरोख्त तो की गई परन्तु नगर अंधेरे की जकड में जकड़ा रहा इस स्थल पर विद्युत वितरण कंपनी ने बिजली खंभों से तार हटाकर नगर को केविलीकरण कर दिया परन्तु यह केविल अपनी स्वयं ही गुणवत्ता की पोल केविलो में कभी धुंआ छोड़ते तो कभी आग की लपटों में टूटकर गिरने से लोगों को भयभीत करने में पीछे नहीं दिखाई दी । हालांकि इस स्थल की प्रसिद्धि को मध्येनजर रखते हुए विद्युत नियामक आयोग तक ने बिजली कटौती से मुक्त रखते हुए चौबीस घंटे बिजली व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के मंडल को निर्देश दिए परन्तु विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड ने जहां बिलों के नाम पर मनमानी राशि लूट शुरू कर दी तथा मंडल के ही लोग बिजली चोरी में लिप्त हो गये । तथा मंडल ने अपने ही नियामक आयोग को धता बता कर मनमानी शुरू कर दी एवं इस विश्व विख्यात पर्यटक स्थल की बिजली व्यवस्था ऐसी बना डाली कि नगर में बिजली कब चली जाये कब आ जाये कोई निश्चित समय नहीं रहा यहां तक कि इस स्थल पर बैठे मंडल अधिकारी इस स्थल की बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने में पूरी तरह असफल साबित हो चुके हैं जिससे गर्मी बरसात में बिजली न होने से जलप्रदाय व्यवस्था पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो कर रह जाती है जिससे लोगों को पेयजल के लिए मशक्कत करनी पड़ती है तथा नगर पूरी तरह अंधेरे की जकड में आ जाता है जिससे अंधेरे उजाले लोगों को जहरीले कीड़े कांटों का भय सता ने लगता है तथा लोगों को अंधेरे में जीवन गुजारने पर होना पड़ता है इससे सबसे ज्यादा असर तब पड़ता है जब नगर में अंधेरा रहने से पर्यटक ठहरने से कतराते हैं तथा चाहते हुए भी नहीं ठहर पाते तथा पर्यटकों की सुरक्षा को भी खतरा खड़ा होने से मंडल को कोई सरोकार नहीं रहता । बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने में न तो मंडल अधिकारी न ही कर्मचारी ही गंभीरता दिखा पाते हैं जिससे बिजली वितरण कंपनी बिजली व्यवस्था सुचारू बनाने में पूरी तरह असफल साबित हो चुकी है ।