बाकियों का अस्तित्व इनके आगे पड़ जाता है फीका
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार धनवान व्यक्ति पर आधारित है।
जो धनवान है उसी को आज के युग में विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता है।’ आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य की इस लाइन का अर्थ है कि जिस व्यक्ति के पास अपार धन संपत्ति है उस व्यक्ति को ही आजकल के युग में सबसे ज्यादा विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता है। यानी कि कलयुग में पैसा सबसे बड़ी चीज है। अपने चारों ओर जरा देखिए, जिस व्यक्ति के पास धन होता है तो उसके नाम न केवल शोहरत होती है बल्कि उसे विद्वान होने का प्रमाण अपने आप मिल जाता है। उसे खुद को विद्वान साबित करने की जरूरत नहीं होती। क्योंकि लोगों का नजरिया उसे देखने और समझने का अलग ही होता है।
वहीं दूसरी तरफ अगर व्यक्ति गरीब है और अपने जरूरतें पूरी करने में भी सक्षम नहीं है तो विद्वान तो दूर की बात है। उस व्यक्ति को लोग हीन नजरों से देखने लगते हैं। यहां तक कि समाज में उस व्यक्ति को कोई सम्मान नहीं मिलता। यानी कि आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में सभी को सबसे ज्यादा प्रिय पैसा है। इस पैसे के दम पर उसे जीवन की वो सभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं जिसे वो पाना चाहता है।
कई बार जीवन में हमें उन लोगों का सामना करना पड़ता है जो विद्वान तो नहीं होते लेकिन उनके पास अपार पैसा होता है। ऐसे लोगों से मिलने के बाद मन में ये जरूर आता है कि शोहरत और नाम सिर्फ और सिर्फ पैसे की वजह से है। कई बार खुद से तो कई बार समाज के डर से हम लोग खुद उस व्यक्ति को सम्मान देते हैं। सम्मान का यही ठप्पा व्यक्ति को विद्वानता का प्रमाण अपने आप ही दिला देता है। जबकि ये नियम उन लोगों पर लागू नहीं होता जिनके पास पैसा तो कम होता है लेकिन दिमाग से वो तेज होते हैं। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो धनवान है उसी को आज के युग में विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता है।