जयपुर। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की पदयात्रा है जिन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
राजस्थान में इन दिनों भीषण गर्मी के बीच सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है. इसकी वजह पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की पदयात्रा है जिन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस में बढ़ते अंतर्कलह ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा हथियार दे दिया है. सचिन पायलट भले यह कह रहे हैं कि वह किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि मुद्दे की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन उनकी यात्रा ने कांग्रेस की चुनौतियों में इजाफा कर दिया है जो अब तक यह दावा करती आई है कि वह सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाएगी.
सचिन पायलट ने जब अपना अनशन समाप्त किया था तब ऐसी उम्मीद थी कि कांग्रेस में मचा तूफान थम गया है लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट रही और पायलट ने भ्रष्टाचार और पेपर लीक मामले में ‘जन संघर्ष यात्रा’ शुरू कर दी. पायलट ने यात्रा शुरू करने से पहले इसकी औपचारिक घोषणा भले ही एक दिन पहले ही की थी लेकिन हजारों की तादात में उनका साथ देने कार्य़कर्ता और समर्थक अजमेर में जुट गए. उधर, सीएम गहलोत और सचिन पायलट की जुबानी जंग का नतीजा यह है कि अब कार्यकर्ताओं में भी घबराहट पैदा हो गई है जो विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं. सचिन पायलट की पदयात्रा से कांग्रेस को कितना नुकसान हो सकता है और जनता इसको लेकर क्या सोचती है? इसको लेकर एबीपी ने सी-वोटर के साथ मिलकर एक त्वरित सर्वे किया. आइए जानते हैं क्या है जनता का जवाब.
राजस्थान का त्वरित सर्वे
एबीपी और सी-वोटर ने अपने सर्वे में राजस्थान की जनता से यह पूछा कि पायलट की यात्रा से क्या कांग्रेस को नुकसान होगा ? इस पर 42 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इससे कांग्रेस को बहुत ज्यादा नुकसान होगा. वहीं, 18 प्रतिशत मानते हैं कि ज्यादा नुकसान नहीं होगा. सर्वे में 29 प्रतिशत लोगों ने माना कि कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा जबकि एकप्रतिशत लोगों ने ‘पता नहीं’ में जवाब दिया. यानी समझा जा सकता है कि करीब आधी जनता यह मानती है कि पायलट की यात्रा चुनाव से पहले कांग्रेस को नुकसान करके जाएगी.
राजस्थान के इस सर्वे में 1 हजार 374 लोगों से उनकी राय ली गई. जिनमें से 42 फीसदी मानते हैं कि पायलट के ‘जन संघर्ष यात्रा’ से कांग्रेस नुकसान झेलेगी. वहीं मार्जिन ऑफ एरर की बात करें तो यह प्लस-माइनस तीन फीसदी से लेकर प्लस-माइनस पांच फीसदी हो सकता है.