फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व हिंदू धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। पूर्णिमा व्रत हर महीने मनाया जाता है और भगवान की अलग-अलग तरीकों से पूजा की जाती है, लेकिन फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन होलिका दहन भी किया जाता है।
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन, भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को जलाकर राख कर दिया।
जानें- पूजा विधि
फाल्गुन पूर्णिमा के व्रत में भगवान नारायण की पूजा करने का विधान है। सबसे पहले पवित्र स्नान करें। सफेद वस्त्र धारण करें और अधिक आचमन करें, उसके बाद व्रत में ‘ॐ नारायण’ मंत्र का जाप करें। चकोर वेदी पर हवन करने के लिए आग जलाएं। तेल, घी, बूरा आदि अर्पित करें।
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत का महत्व
इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करना चाहिए। सुबह स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। इस दिन व्रत करके होलिका दहन की पूजा करनी चाहिए। होलिका दहन पर गाय के गोबर से गुलरिया बनाकर होलिका में माला, रौली, गुड़, साबुत अनाज, बताशे, गुझियां और गेहूं की बाली अर्पित की जाती हैं। इसके बाद होलिका की परिक्रमा की जाती है। होलिका दहन की परिक्रमा के बाद सूत का धागा भी बांधा जाता है।