जबलपुर। अब रेल यात्रियों की समस्याओं के समाधान में रेल अधिकारियों की लापरवाही नहीं चलेगी। रेलवे ने निर्देश दिया है कि यात्रियों की समस्या का जो भी समाधान हो, वह सकारात्मक और स्थायी हो। इसके लिए यात्रियों से उनका फीडबैक भी लिया जाएगा। इस संबंध में रेलवे ने जबलपुर समेत देशभर के सभी रेल मंडल को निर्देशित किया है कि वे यात्रियों की शिकायत का समाधान करने की प्रक्रिया को बेहतर करने के साथ उनकी प्रतिक्रिया अनिवार्य तौर पर लें। इतना ही नहीं, शिकायत को लेकर यात्रियों का फीडबैक पूरी तरह सकारात्मक हो, इसकी जिम्मेदारी मंडल स्तर के अधिकारियों की होगी।
व्यवहार से यात्री खुश नहीं हैं
रेल सुविधाओं में कमी को लेकर आ रहीं शिकायतों का समाधान तो किया जा रहा है लेकिन समाधान की प्रक्रिया और समाधान करने वाले लोगों के व्यवहार से यात्री खुश नहीं हैं। यह नाराजगी इंटरनेट मीडिया और रेल मदद एप पर यात्रियों से मिलने वाली प्रतिक्रिया में सामने आ रही है। इसके बाद रेलवे ने नए निर्देश जारी किए हैं। रेलवे के अधिकारियों को अब रेल मदद एप, इंटरनेट मीडिया और 139 पर मिलने वाली शिकायतों का समाधान तो अनिवार्य तौर पर करना ही होगा, उनकी प्रतिक्रिया यानी फीडबैक भी लेना होगा।
समाधान की प्रक्रिया से नाराज रेलवे
रेलवे बोर्ड ने हाल ही में जबलपुर समेत देशभर के रेल मंडल के आला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की। इस कांफ्रेंस में यात्रियों की शिकायत, समाधान और प्रतिक्रिया पर समीक्षा हुई। इस दौरान रेलवे ने चिंता जाहिर की कि ट्वीटर, फेसबुक और रेलवे मदद एप पर मदद मांगने वाले यात्रियों को रेलवे के अधिकारियों और जिम्मेदार द्वारा दिए जाने वाले जवाब से यात्री खुश नहीं हैं। कभी जवाब में यात्री की शिकायत दूसरे जोन और मंडल की बता दी जाती है तो कभी शिकायत का समाधान करने में इतना समय लगता है कि यात्री या तो दूसरे से मदद ले लेता है या फिर उसका सफर ही खत्म हो जाता है। इसके बाद यात्रियों की प्रतिक्रिया रेलवे को लेकर नाराजगी और नकारात्मक रहती है। इस व्यवस्था को सुधारने के लिए अब अनिवार्य तौर पर शिकायत के समाधान के बाद प्रतिक्रिया लेनी होगी। साथ ही यात्रियों को अपनी सेवा और व्यवहार से संतुष्ट करना होगा, ताकि वे प्रतिक्रिया में रेलवे के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करें।
अभी यह है व्यवस्था
रेलवे को यात्री से मिलने वाली अधिकांश शिकायतें इंटरनेट मीडिया और रेल मदद एप पर आती हैं। मदद मांगने के बाद रेलवे की ओर से जवाब दिया जाता है कि उनकी शिकायत कब और कहां दूर होती। इसके बाद शिकायत से जुड़े संबंधित विभाग को उसका समाधान करने के लिए निर्देशित किया जाता है। कई बार शिकायत के समाधान का समय तय नहीं होता, समाधान के बाद भी वे असंतुष्ट होते हैं। इस गुस्से को वे इंटरनेट मीडिया और एप पर दी जाने वाली प्रतिक्रिया पर निकालते हैं।
अब यह होगी व्यवस्था
रेलवे मदद एप, इंटरनेट मीडिया और 139 पर आने वाली शिकायतों के समाधान का समय तय होगा। समाधान करने का समय और इसके बदलने में यात्रियों से मिलने वाली प्रक्रिया का रिकार्ड दर्ज होगा। हर शिकायत के समाधान की जिम्मेदारी कर्मचारियों के साथ संबंधित विभाग के अधिकारियों की भी होगी। समाधान करने के बाद रेलवे कर्मचारी के व्यवहार को भी नोटिस किया जाएगा, इस पर भी यात्रियों से राय ली जाएगी। यात्रियों का फीडबैक सकारात्मक हो, इसकी जिम्मेदारी मंडल स्तर के अधिकारियों की ही होगी।
शिकायत और जवाब की हकीकत
शिकायत- ट्रेन के कोच नंबर बी 1 का एसी खराब है, इसे सुधरवाएं।
जवाब- ट्रेन स्टेशन से चल चुकी है, अगले स्टेशन पर व्यवस्था होने पर ही एसी सुधारा जाएगा।
परिणाम- कई बार शिकायत के बाद ट्रेन गंतव्य तक पहुंच जाती है, लेकिन एसी नहीं सुधरता।
प्रतिक्रिया- यात्री इस शिकायत के बाद अपनी प्रतिक्रिया में रेलवे की व्यवस्था और अधिकारियों पर नाराजगी बयां करते हैं।
समाधान की प्रक्रिया बेहतर हो
जबलपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम विश्वरंजन बोल- रेलवे ने यात्रियों से मिलने वाली शिकायत का समय पर समाधान करने और फिर संबंधित यात्री से प्रतिक्रिया लेने को कहा है। प्रतिक्रिया में यात्री, रेल सुविधाओं से संतुष्ट हो, इसके लिए कर्मचारी का व्यवहार और समाधान की प्रक्रिया बेहतर होनी चाहिए। वहीं इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली शिकायतों के लिए जिम्मेदार कर्मचारी को गोलमोल जवाब नहीं देना है। प्रतिक्रिया अनिवार्य तौर पर लेना है।
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