जबलपुर। हाई कोर्ट ने परिवहन आयुक्त को बसों में लगने वाले पैनिक बटन व जीपीएस ट्रेकिंग डिवाइस की कीमत निर्धारण पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को निर्देश दिए कि वे बस आपरेटर्स उक्त मांग को लेकर प्रस्तुत अभ्यावेदन पर 45 दिन के भीतर उचित आदेश पारित करें। आपरेटर्स का कहना है कि पड़ोसी राज्य राजस्थान में पैनिक बटन व जीपीएस डिवाइस इंस्टाल के लिए 32 सौ रुपये लिए जाते हैं, जबकि मध्य प्रदेश में इसकी कीमत 13 हजार 978 रुपये वसूली जा रही है। जिससे परेशान होकर आपरेटर्स ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दरअसल यात्री बसों में पैनिक बटन और जीपीएस शासन द्वारा अनिवार्य किया गया है।
केंद्र सरकार ने किया है अनिवार्यः
दरअसल, केंद्र सरकार ने सवारी बसों में जीपीएस व पैनिक बटन की अनिर्वायता के संबंध में आदेश दिए थे। वर्ष 2018 से पहले की बसों में ये डिवाइस लगे नहीं है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ग्वालियर ने एक आदेश जारी कर कहा कि जीपीएस व पैनिक बटन नहीं होने पर प्रदेश में परमिट तथा फिटनेस सार्टिफिकेट नहीं दिया जायेगा। इस आदेश के बाद जबलपुर के संजीव कोहली, विकास जायसवाल के अलावा भोपाल, नर्मदापुरम, सीधी, सतना, बैतूल कई जिलों के बस ऑपरेटर्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलीलः
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आशीष रावत ने दलील दी कि प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सिस्टम लगाने के लिए चार कंपनियों को अधिकृत किया था। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि 15 अन्य कंपनियों को भी अधिकृत कर दिया गया है। इसके बाद कोर्ट को बताया गया कि उक्त सिस्टम के लिए राजस्थान में 32 सौ रुपये लिए जा रहे हैं, जबकि प्रदेश में लगभग 14 हजार रूपये लिये जा रहे हैं, जोकि अनुचित है।
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