दामाद एक खोज नाटक मंचित एवं सम्मान समारोह संपन्न ,डाक्टर आजम खान एवं सुनील दामाद एक खोज नाटक मंचित एवं सम्मान समारोह संपन्न ,डाक्टर आजम खान एवं सुनील सोन्हिया कला श्री सम्मान से हुए सम्मानित
भोपाल। गत दिवस रंगश्री लिटिल बेले सभागार में कॉमेडी नाटक दामाद एक खोज का मंचन हुआ नाटक का निर्देशन सुप्रसिद्ध रंग कर्मी ,निर्देशक अभिनेता , राइटर डॉ आज़म खान ने किया इस अवसर पर एक सखा वेलफेयर सोसायटी सिहोर के डायरेक्टर शुभम विद्या शिव चौरसिया तथा नेशनल एंटी हैरेसमेंट की सीईओ प्रतिभा वायकर , उपन्यासकार आकाश माथुर ने सारा डॉ आजम खान तथा रंगकर्मी अभिनेता निर्देशक, लेखक सुनील सोन्हिया को रंगकर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु कलाश्री सम्मान 2022 सम्मानित किया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में फिल्म अभिनेता अरुण वर्मा उपस्थित थे दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में सूत्रधार की भूमिका जानेमाने मंच संचालक डॉ रमेश श्रीवास्तव ने अदा की अंत में उपन्यासकार आकाश माथुर की उपन्यास उमेधा का विमोचन किया गया तथा नाटक के सभी कलाकारों को एक सखा वेलफेयर सोसायटी सीहोर की ओर से प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
*नाटक की कहानी “दामाद एक खोज”*
इस नाटक की शुरुआत होती है मालिकराम से, जो अपनी बेटी के लिए सुयोग्य वर ढूंढने निकलता है, लेकिन हर रोज उसे निराशा ही हाथ लगती है। पहले वो स्वयं फिर वो अपने बेटे प्रकाश को वर की तलाश में भेजता है, पर उसे भी असफलता ही हाथ लगती है।दहेज पर चाहे कितने भी प्रतिबंध लगाये जाय, कितना भी कानून बनाया जाय, पर ये समस्या हल होती नजर नहीं आती है, क्योंकि कन्या और उसके परिवार के लोग अपनी शान दिखाने के चक्कर में इस प्रथा को समाप्त ही नहीं होने दे रहे हैं, फिर चाहे इसके लिए उनको लोन ही क्यों न लेना पड़ जाए । बेटे के असफलता के बाद मालिकराम अपने मुंह लगे नौकर शर्मीले के कहने पर बेटी के लिए कुछ शर्तों के साथ दामाद चाहिए का विज्ञापन पेपर में दे देते हैं और फिर शुरू होती है, नाटक की असली कहानी।
जिसमें विज्ञापन को देखकर एक से एक बेवकूफ लोग रिश्ता मांगने चले आते हैं, कोई दहेज में बेटी की मां को मांगता, तो कोई दो दो शादी करने के बाद भी शादी करने आ जाता। इसी बीच मालिकराम का बेटा अपनी शादी के चक्कर में अपनी प्रेयसी ज्योति को उसके घर से भगाकर नौकरानी बनाकर घर ले आता है और उधर मालिकराम की बेटी अपने प्रेमी प्रभात को भी घर पर बुला लेती है, जिसके बाद सबको इस बात का पता चल जाता है फिर हस्यमयी पलों का दौर शुरू होता है जिसमें शर्मीले, प्रकाश, मालिकराम और प्रभात की एक-दूसरे से बहस और बातचीत लोगों को हसने पर मजबूर करती है।
अन्ततः मालिकराम जिसको पहले ही सारी सच्चाई मालूम होती है, वह अपने बेटे(प्रकाश) और बेटी(संध्या) की शादी उनकी मर्जी से कराता है।
मंच पर ( पात्र-परिचय )
मालिकराम -अर्पित श्रीवास्तव गुणकारी – तितिक्षा श्रीवास्तव शर्मिला – शाहरुख खान
प्रकाश – शिवांश खरे
संध्या – प्रीतु झा
प्रभात – प्रदीप मंदरे
डॉ.चंचल – अमोल वर्मा
जागरूक – दानिश खान छटपटाहट – मोहन धाकड़
ज्योति – रिया पस्तोर
आवाज – हितेश छबानी, दानिश खान, अमोल वर्मा.
मंच परे
मंच व्यवस्थापक – अमोल वर्मा
वस्त्र विन्यास – तितिक्षा श्रीवास्तव सहयोगी – प्रीतु झा
मेकअप – सपना जैन वीडियोग्राफी – संजीव यादव फोटोग्राफी – काशिफ खान
मंच सामग्री – सुनील, पवन, इशान, देव, हितेश, अमोल वर्मा संगीत – जॉर्डन
सोसाइटी सीहोर द्वारा मंच संचालन – श्री डॉ. रमेश श्रीवास्तव
प्रचार-प्रसार – श्री सुनील सोन्हिया
लेखक – तपन भट्ट
प्रकाश, नाट्य रूपांतरण,प्रोडक्शन डिज़ाइन, एवं निर्देशन – डॉ. आज़म खान