फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है। इस साल रंगभरी एकादशी 13 मार्च को है। रंगभरी एकादशी का पर्व होली से छह दिन पहले आता है। मान्यता है कि इस दिन ही माता पार्वती का गौना कराकर भगवान शिव काशी लाए थे। इसलिए काशी में इसे मां माता गौरा के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। काशी में होली का त्योहार रंगभरी एकाशी से प्रारंभ होकर अगले छह दिन तक मनाया जाता है।
रंगभरी एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त-
रंगभरी एकादशी 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन यानी 14 मार्च को सुबह 12 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। रंगभरी एकादशी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा, जो कि रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र रात 10 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
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रंगभरी एकादशी पूजन विधि-
धार्मिक मान्यता के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव विवाह के बाद पहली माता गौरा के साथ काशी आए थे। इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान शिव के मंदिर जाएं। अबीर, गुलाल, चंदन और बेलपत्र आदि अर्पित करें। भोलेनाथ से अपने संकटों के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
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भगवान विष्णु की होती है कृपा-
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। रंगभरी एकाशी के दिन भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा करने से दोनों देवताओं का संयुक्त आशीर्वाद मिलने की मान्यता है।