प्रदेश सरकार ने भले ही अहाते बंद करा दिए हों, पर शराबियों को इसकी कोई परवाह नहीं। उन्होंने खुद नए ‘अहाते’ खोल लिए हैं और ये बनाए हैं- खुले में। जी हां, गलियों, सूनसान सड़कों पर, मैदानों और बगीचों में शराबी एक अप्रैल के बाद से दारू पी रहे हैं। उनको जहां जगह मिल रही है, वहीं शराब पीने लगे हैं। अहाते थे तो वे दारू की बोतलें, वहां एक जगह डाल दिया करते थे लेकिन अब तो वे सड़कों और गलियों में फेंक दी जा रही हैं।
नतीजतन, प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से आबकारी नीति में बदलाव की कड़ी में महिलाओं को राहत देने के लिए जिस मकसद से अहातों को बंद कराया था, वह पूरा होने के बजाय मुश्किल और बढ़ गई है। दारूबाजों के खुलेआम यूं शराब पीने से अब तो महिलाओं और स्कूली बच्चों का रास्ता निकलना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन अब जिम्मेदार चुप हैं। इस मामले में प्रशासन, पुलिस और आबकारी विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इंदौर निगम की सीमा में हैं 94 दुकानें
बता दें कि इंदौर जिले में ही 146 अहाते बंद किए गए हैं, जिनमें बैठकर पीने की व्यवस्था थी। इंदौर जिले में कुल 173 शराब दुकानें हैं। इनसे नगर निगम सीमा में 94 दुकानें हैं। इन दुकानों से जुड़े 146 अहाते अब तक चल रहे थे। नए वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए इन दुकानों के पास खोले गए अहाते बंद करने का निर्णय सरकार पहले ही ले चुकी थी। इसी कारण नए वित्तीय वर्ष में हर शराब दुकान के बाहर बोर्ड तो लगवा दिए गए हैं कि लोग यहां पर शराब न पिएं, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। कहने को तो आबकारी विभाग की टीम रोजाना कार्रवाई पर निकलती है, लेकिन सरेआम सार्वजनिक जगह पर शराब पीने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
स्कीम नंबर 54 में दुकान के बाहर छलक रहे जाम
शहर के पूर्वी क्षेत्र में देशी-विदेशी शराब की दुकानों के बाहर जाम छलक रहे हैं। अहाते बंद होने के बाद लोग दुकानों के बाहर ही महफिल सजा रहे हैं। आसपास लगी पान-सिगरेट की गुमटियां और खाने-पीने की दुकानों पर भी शराबखोरी करने वालों का जमावड़ा लगने लगा है। स्कीम नंबर-54 की शराब की दुकान के पास खाली प्लाट पर हरी नेट लगाई हुई है। यह खाली जमीन शराब लेने वालों के लिए अघोषित अहाते का काम कर रही है। पास बनी गुमटी से सिगरेट के साथ ही खाने-पीने के व्यंजन भी उपलब्ध हो रहे हैं।
पलसीकर चौराहे पर कारों की आड़ में शराबखोरी
अहाता होने के बाद भी मोती तबेला, पलसीकर चौराहे की शराब दुकान पर भीड़ रहती थी, अब अहाता बंद होने से यह और बढ़ गई है। इस शराब दुकान का रहवासी विरोध भी कर रहे हैं। दुकान के 35 मीटर के दायरे में राम मंदिर है, फिर भी इसे हटाया नहीं जा रहा है। रहवासियों और आसपास के दुकानदारों ने बताया कि यहां पर कारों की आड़ में पूरे दिन लोग शराब पीते रहते हैं। पान और खाने-पीने की दुकान के सामने दोपहिया या कार में बैठकर ही लोग शराब पीते हैं। कई बार पुलिस को शिकायत भी की है, पर कोई हल नहीं निकलता है। रहवासी पुष्पेंद्र निगम ने बताया कि दुकान के आसपास फुटपाथ पर दिनभर शराबियों का अड्डा रहता है। महिलाओं का यहां से निकलना मुश्किल हो जाता है। शाम से लेकर रात ज्यादा भीड़ रहती है।
गौरीनगर में खुले मैदान में पी रहे लोग
गौरीनगर में मौजूद शराब दुकान में अब अहाता बंद हो गया है, लेकिन शराब दुकान के बाहर खड़े होकर पीने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। सुबह 9 बजे से यहां पर लोग शराब पीने लग जाते हैं। यहां पर दुकान के पास खुले मैदान को लोगों ने नया अहाता बना लिया है। दिन भर यहां दारूबाजों की भीड़ लगी रहती है। इससे यहां से लगे औद्योगिक इलाके में आने-जाने वाली महिला श्रमिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बंगाली चौराहे पर गली बनी अहाता
अहाते बंद होने से शराब दुकान के पास की भीड़ तो कम हुई है, लेकिन लोगों ने पास की गलियों को अहाता बना लिया है। यहां पर दिन में ही लोग शराब पीने लगते हैं। यही हाल कनाड़िया रोड बायपास चौराहे की शराब दुकान का है। यहां पर लोग मेन रोड पर ही शराब पीने लगते हैं, जबकि कुछ ही दूरी पर कनाड़िया थाना पुलिस शराब पीने वाले वाहन चालकों पर चालानी कार्रवाई करती है।
निपानिया चौराहा पर सज रही महफिल
निपानिया चौराहा स्थित शराब की दुकान के बाहर तो हालात और खराब देखने को मिल रहे हैं। यहां तो दुकानों के बाहर रात साढ़े 10 बजे अंधेरा था। शराब पीने वाले झुंड में जुटे हुए थे। इसके साथ ही यहां खानी-पीने की दुकानों की लंबी कतार थी, जिन पर लोग जुटे हुए थे। रहवासी विजय कर्मा ने बताया कि पहले भी खाने-पीने की दुकानें लगी रहती थीं लेकिन अब शराबखोरी भी होने लगी है।
खुले में शराब पीने पर कार्रवाई करेंगे
खुले में और सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शहर में सर्चिंग करवाकर जहां-जहां भी इस तरह सार्वजनिक रूप से सड़क, गली या बगीचे में शराब पीने वाले पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए पुलिस अधिकारियों से बात की जाएगी। कार्रवाई के लिए दल भी बनाए जाएंगे।
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