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कांग्रेस की खामियों को दुरुस्त करने और सशक्त बनाने में जुटे कमलनाथ-अरुण पटेल

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आलेख

2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतने के उद्देश्य से जहां एक ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ निचले स्तर तक कांग्रेस को मजबूत करने की मशक्कत कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ दोनों ही दलित वोट बैंक को अपनी-अपनी पार्टी से जोड़ने की दिशा में सधे कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। संत रविदास जयंती के मौके का दोनों ही नेताओं ने भरपूर उपयोग इसके लिए किया। राजधानी भोपाल में संत रविदास जयंती के अवसर पर शिवराज ने जहां इस वर्ग के लिए सौगातों की मूसलाधार झड़ी लगा दी तो वहीं दूसरी ओर कमलनाथ ने सागर में रविदास जयंती के अवसर पर इन वर्गों के लोगों को और मजबूती से कांग्रेस से जोड़ने की मशक्कत की। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो सफलता मिली उसमें ग्वालियर-चंबल संभाग तथा मध्य भारत और इंदौर उज्जैन संभाग में दलित वर्ग का कांग्रेस की ओर झुकाव एक बड़ा कारण था। इसे समझते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा का समूचा ध्यान आदिवासी और दलित समुदाय के बीच फिर नए सिरे से भाजपा का जनाधार मजबूत करना है। मध्य प्रदेश में सत्ता शिखर पर पहुंचने का रास्ता इन दोनों वर्गों के बीच से होकर गुजरता है और पिछड़ा वर्ग जिसका बहुतायत से साथ दे देता है वह आसानी से सत्ता सिंहासन तक पहुंचने में सफल हो जाता है। देखने वाली बात यही होगी कि इन वर्गों के लोग किस दल को अपना समर्थन देते हैं, हालांकि यह विधानसभा चुनाव के नतीजों से ही पता चल सकेगा। उम्मीदों पर ही आसमान टिका है इस कहावत को चरितार्थ करते हुए फिलहाल तो प्रदेश में सत्ता के दावेदार दोनों राजनीतिक दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
जहां तक 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सवाल है तो उससे पूर्व कांग्रेस को निर्वाचित अध्यक्ष मिल जाएगा क्योंकि इस साल 16 अप्रैल से विभिन्न स्तरों पर पार्टी के संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी, जिसके तहत 21 जुलाई से 20 अगस्त 2022 के बीच प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करा लिया जाएगा। अभी कमलनाथ मनोनीत अध्यक्ष हैं तथा चुनाव के बाद जो भी कांग्रेस नेता इस पद पर आएगा उसके सामने पहली चुनौती 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने की होगी। कमलनाथ प्रदेश में वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं इसलिए यदि वह चुनाव लड़ते हैं तो फिर उनके निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने की सबसे अधिक संभावना है। कमलनाथ यह भली-भांति जानते हैं कि कांग्रेस का मुकाबला भाजपा की संगठनात्मक ताकत से है और चुनावी लड़ाई मतदान केंद्रों पर ही लड़ी जाना है इसलिए उनका सबसे अधिक जोर बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करना है। इसके लिए उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता बूथ, मंगलम और सेक्टर कमेटियों का गठन है। इनका गठन करने के लिए उन्होंने जिला कांग्रेस अध्यक्षों को अल्टीमेटम देते हुए दो-टूक शब्दों में चेताया है कि जो भी जिला अध्यक्ष 25 फरवरी के पहले नियुक्तियां नहीं करेंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने साफ-साफ संकेत दे दिया है कि यदि पदों पर जिलाध्यक्ष को रहना है तो उन्हें निचले स्तर तक सक्रियता दिखाना होगी अन्यथा उन्हें पद मुक्त कर किसी अन्य ऊर्जावान कार्यकर्ता को मौका दिया जाएगा। इस प्रकार निष्क्रिय रहने वाले जिला अध्यक्षों को बदला जाएगा इस बात की चेतावनी कमलनाथ ने दी तो साथ ही सक्रिय रहने वाले जिला अध्यक्षों को यह कहते हुए प्रोत्साहित करने की कोशिश की कि 31 मार्च तक कांग्रेस का सदस्यता अभियान चलने वाला है। इसमें ईमानदारी से काम करने वाले तथा बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिला अध्यक्षों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सदस्यता अभियान और पार्टी के घर चलो, घर-घर चलो अभियान की समीक्षा के दौरान कमलनाथ की यह चिंता भी रेखांकित हुई कि अब विधानसभा चुनाव के लिए महज 18 माह का वक्त बचा है, इसलिए संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दें और सदस्यता में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं होना चाहिए। अक्सर देखने में आया है कि सदस्यता अभियान में अपना-अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए नेता और कार्यकर्तागण फर्जी सदस्य भी बना लेते हैं, क्योंकि कांग्रेस में यह नियम है कि एक निश्चित संख्या में सदस्य बनाने के बाद ही सक्रिय सदस्य बना जाता है और उसके बाद ही संगठनात्मक पदों पर जाने का रास्ता खुलता है। कांग्रेस में डिजिटल सदस्यता भी प्रारंभ करने की व्यवस्था की गई है और इस अभियान को बूथ स्तर पर चलाने के लिए एक कार्यकर्ता नियुक्त किया जाएगा जो कि मोबाइल ऐप के माध्यम से सदस्य बनाएगा। इस प्रकार बनाए गए सदस्यों का सत्यापन केंद्रीय संगठन द्वारा किया जाएगा। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक ने इस बात पर जोर दिया कि सदस्यता अभियान करते समय दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही अल्पसंख्यक वर्ग पर विशेष ध्यान दिया जाए क्योंकि 2018 में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस की सरकार बनाने में इन वर्गों का विशेष योगदान था। इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के लिए मंच पर कुर्सियां आरक्षित थीं लेकिन वह बैठक में उपस्थित नहीं हुए इसको लेकर भाजपा ने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर तंज करने में देरी ना करते हुए सवाल उठा दिया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने इसे गुटबाजी की संज्ञा दी। उनका कहना था कि अब पार्टी में गुटबंदी सतह पर आ गई है और नेतागण एक साथ मंच तक साझा नहीं करना चाहते।
दलितों को साधने की मशक्कत
संत रविदास जयंती के मौके पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही दलितों को साधने की पुरजोर कोशिश की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संत रविदास के नाम पर राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा इलाके में बन रहे ग्लोबल स्किल डेवलपमेंट पार्क का नामकरण करने तथा प्रदेश के सभी अनुसूचित जाति बहुल जिलों में संत रविदास सामुदायिक भवन बनाने का ऐलान करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग के लिए संत रविदास स्वरोजगार योजना प्रारंभ की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए एक लाख से लेकर 25 लाख रुपए तक का ऋण मुहैया कराया जाएगा तथा इसकी गारंटी सरकार लेगी और 5 प्रतिशत तक ब्याज पर अनुदान दिया जाएगा। इसका जिम्मा अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम को सौंपा गया है। इसके अलावा डॉ. भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना भी अमल में लाई जाएगी जिसमें एक लाख रुपए तक का कर्जा मिलेगा और इसमें ब्याज दर पर 7 प्रतिशत अनुदान भी राज्य सरकार देगी। भाजपा ने इस बार पहली मर्तबा प्रदेश में जिला जनपद और ग्राम पंचायत स्तर पर संत रविदास जयंती समारोह आयोजित किए थे जिसमें मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु शर्मा सहित वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया था। इसका मकसद भी इस समुदाय के बीच भाजपा का जनाधार बढ़ाने और उन्हें पार्टी से जोड़ने की मशक्कत करना ही था। वहीं दूसरी ओर सागर में आयोजित संत रविदास जयंती के अवसर पर कमलनाथ ने याद दिलाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते सागर की जनता से वायदा किया था कि संत रविदास जयंती मनाने आपके बीच वापस आऊंगा और मैंने यह वायदा निभाया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय पर पुष्प वर्षा कर उनका दिल जीतने की कोशिश भी कमलनाथ ने की। उन्होंने इन वर्गों के लोगों को बताया कि कमजोर वर्ग, अनुसूचित वर्ग और जनजाति वर्ग पर अत्याचार हो रहा है और यह तस्वीर भी आपके सामने हैं। अब आपको यह तय करना है कि आप लोग किस रास्ते पर चलना चाहते हैं। हमारी संस्कृति के रास्ते पर या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रास्ते पर, यह प्रश्न कांग्रेस और भाजपा का नहीं है बल्कि इस बात का है कि हम कौन सा रास्ता अपनाना चाहते हैं। इस प्रकार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलित समुदाय का दिल जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
और यह भी
प्रदेश में कांग्रेस के डिजिटल सदस्यता अभियान का आगाज करते हुए प्रत्येक बूथ पर कम से कम 100 सदस्य बनाने और समूचे राज्य में 50 लाख से अधिक सदस्य बनाने का अति- महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक ने दिया है। अब देखने वाली बात यही होगी कि इस लक्ष्य को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से प्राप्त करने में कांग्रेस- जन कितने सफल होते हैं। 31 मार्च के बाद ही यह पता चलेगा कि इस लक्ष्य के कितने आसपास सदस्यता अभियान पहुंच पाता है।

-लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक है
-सम्पर्क:9425019804,
7999673990

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