फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत आता है। मान्यता है कि भगवान गणेश के इस स्वरूप की विधिवत पूजा अर्चना से कष्टों का निवारण होता है।
भगवान गणेश सभी देवी देवताओं में प्रथम पूजनीय माने जाते हैं।द्विजप्रिय भगवान गणेश के चार सिर और चार भुजाएं हैं।फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहते हैं। वहीं फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार विघ्नहर्ता द्विजप्रिय भगवान गणेश के चार सिर और चार भुजाएं हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश के इस स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और स्वस्थ जीवन के साथ सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी ये व्रत बेहद खास माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी के नाम मात्र का स्मरण करने से मनुष्य के सभी दुख दूर होते हैं। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं साल 2022 में कब द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी है र क्या है इसका महत्व।हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी 2022, रविवार को है। चतुर्थी तिथि 19 फरवरी 2022, शनिवार को रात 09 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 20 फरवरी की रात को 09 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन चंद्रोदय 09 बजकर 50 मिनट पर होगा