मुंबई । शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां तक नहीं पहुंचते, अगर बाल ठाकरे ने उन्हें बचाया नहीं होता। वह जाहिर तौर पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की उस टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के बाद राजधर्म का पालन करने को कहा गया था। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने 25-30 वर्षों तक एक राजनीतिक नेतृत्व की रक्षा की, लेकिन वे (भाजपा) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पूर्व सहयोगी शिवसेना और अकाली दल को नहीं चाहते थे। मुंबई में उत्तर भारतीयों की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा मैं भाजपा से अलग हो गया, लेकिन मैंने हिंदुत्व को कभी नहीं छोड़ा। भाजपा हिंदुत्व नहीं है। हिंदुत्व क्या है, उत्तर भारतीय इसका जवाब चाहते हैं। एक-दूसरे से नफरत करना हिंदुत्व नहीं है।
उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर हिंदुओं के बीच नफरत पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा 25-30 साल तक शिवसेना ने राजनीतिक मित्रता की रक्षा की। हिंदुत्व का मतलब हमारे बीच गर्मजोशी है। वे (भाजपा) किसी को नहीं चाहते थे। उन्हें अकाली दल। शिवसेना नहीं चाहिए। ठाकरे ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को राजधर्म के पालन की वाजपेयी की नसीहत का संदर्भ देते हुए कहा यह बाला साहेब ठाकरे थे, जिन्होंने वर्तमान प्रधानमंत्री को तब बचाया था जब वाजपेयी (तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी) चाहते थे कि वे राजधर्म का सम्मान करें। बालासाहेब ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया था कि यह समय की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो वह (मोदी) यहां नहीं पहुंच पाते। वाजपेयी ने राजधर्म की नसीहत वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद दी थी।
शिवसेना प्रमुख ने कहा उन्होंने अपनी गरिमा की रक्षा के लिए भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया और 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ शामिल हुए बागी शिवसेना विधायकों पर परोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा, नहीं तो मैं अपने गले में बेल्ट बांधे गुलाम होता, जैसे मेरे कुछ लोग अब बन गए हैं।
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