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डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिट्री प्रोजेक्ट के तहत कहानियों के संकलन पर प्रशिक्षण

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पीजी कॉलेज के सभागार में सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण के क्षेत्रीय केंद्र दमोह की कार्यशाला हुई आयोजित

 

रिपोर्ट धीरज जॉनसन,दमोह

आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद्र दमोह में डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिट्री प्रोजेक्ट के अंतर्गत कहानियों का संकलन विषय पर कार्यशाला का आयोजन डॉ राहुल कुमार,डिप्टी डायरेक्टर, सीसीआरटी,पी राठौर, डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन, अनुज वाजपेयी फील्ड ऑफिसर,डॉ अनीता, प्रभारी प्राचार्य पीजी कॉलेज,नरेंद्र बजाज सांसद प्रतिनिधि,नरेंद्र दुबे (वरिष्ठ पत्रकार),राजकुमार सिंह,देवनारायण (सीआईसी) सीसीआरटी के प्रशिक्षित शिक्षकों की विशेष उपस्थिति में पीजी कॉलेज के सभागार में संपन्न हुआ।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ते हुए डीडीआर प्रोजेक्ट की संकल्पना को प्रस्तुत करते क्षेत्रीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ गुमनाम नायकों को याद करते हुए आजादी के इन स्तंभों को सबके सामने लाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। इस अवसर पर नरेंद्र दुबे ने कहा कि यहां क्षेत्रीय केंद्र की शुरुआत है अभी शिशु अवस्था में है पर दमोह का नाम जगह जगह याद किया जाएगा,और आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेगा,यह भूमि पुरानी धरोहर की साक्षी भूमि है और विरासत को सहेज कर रखी है। डॉ अनीता ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम उन स्रोतो को खोजे जो दृष्टि में नहीं है हमारे लिए गौरव का विषय है कि इस आयोजन से जुड़ पाए, श्रुति से कहानी बनती है रचता कोई है और लिखता कोई है।


डॉ राहुल कुमार ने कला को शिक्षण के माध्यम का मार्ग बताते हुए कहा कि लोक और कला संस्कृति,स्वतंत्रता संग्राम में योगदान करने वाले स्थानीय नायकों के बलिदान को लेखन के माध्यम से संग्रहित करना है,लोक विरासत की खोज फिर लिपिबद्ध कर जन जन तक पहुंचाना है इसके साथ ही पीपुल एंड पर्सनाल्टी,
इवेंट एंड हैपनिंग,लिविंग ट्रेडिशन एंड आर्ट फार्म्स, और हिडन ट्रेजर पर कहानी लिखने के तरीके को बारीकी से समझाया और कहा कि गलतियों से बचें इस प्रोजेक्ट के माध्यम से हम विरासत को सामने लाएंगे, स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में लिखते समय उनकी जन्म भूमि,कर्मभूमि, शहीद स्थान,जेल यात्रा, पुराना इतिहास जरुर ध्यान रखें।
द्वितीय सत्र में प्रोजेक्ट के व्यवहारिक पहलू को समझाते हुए पी राठौर ने बताया कि कहानी लिखने से पहले उन व्यक्तियों,पुस्तकों तक जरूर पहुंचे जो सेनानियों से संबंध रखती है,संबंधित विभाग से सूची प्राप्त करें, क्योंकि यह जानकारी फिर डिजिटल पर जाएगी जिसे सब देख सकेंगे, सीसीआरटी निरंतर प्रगति कर रहा है और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर से प्रोजेक्ट भी मिलते है हम जनमानस को जागरूक करें। कार्यशाला सिद्धि समापन पर प्रशिक्षण लेने वालों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

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