माघ मास पूजा पाठ के लिए विशेष माना जाता है। माघ माह में शुक्ल सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। यह तिथि सूर्यदेव को अति प्रिय है। नेत्र रोग, मस्तिष्क एवं त्वचा रोग से परेशान लोगों को यह व्रत रखकर इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। निसंतान दंपति या जिनकी संतान बीमार रहती है, वे दंपति यह व्रत अवश्य करें। रथ सप्तमी व्रत करने से भाग्य प्रबल होता है। आध्यात्मिक उन्नति होती है।
मान्यता है कि माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्यदेव अपने सात घोड़े वाले रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे और पूरी सृष्टि को प्रकाशित किया था। इस दिन प्रात: स्नान कर सूर्यदेव को जल में लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, चीनी मिलाकर ओम सूर्य देवाय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पित करें। इस दिन सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। रथ सप्तमी व्रत रखने से निरोगी काया का वरदान प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं। इस व्रत के पुण्य से घर-परिवार में धन-धान्य में वृद्धि होती है। जीवन के हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत में भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्यदेव के 12 नामों का स्मरण करें। अर्घ्य देते हुए जल की धार के मध्य में से सूर्यदेव को देखने का प्रयास करें। सूर्यदेव को लाल पुष्प अर्पित करें। कर्पूर से आरती करें। इस व्रत में भोजन में नमक का सेवन न करें और शाम को खीर खाएं। इस व्रत में सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इस दिन व्रती को नमक और तेल का त्याग करना चाहिए। नदी या सरोवर में स्नान कर सूर्यदेव की पूजा के बाद तिल, वस्त्र, भोजन और गाय का दान भी पुण्यकारी माना गया है।