भोपाल के भारत भवन में ग़ज़ल के अमर गायक जगजीत सिंह के ज़िंदगीनामें पर मेरी किताब कहां तुम चले गए _ दास्तान ए जगजीत पर चर्चा हुई । मेरे लिए वह अनमोल पल था ,जब देश के चोटी के व्यंग्यकार और उपन्यासकार डॉक्टर ज्ञान चतुर्वेदी ने मौजूद सैकड़ों साहित्य प्रेमियों को यह किताब पढ़ने की सलाह दी ।
उनकी प्रतिक्रिया हौसला बढ़ाने वाली थी । इस उत्सव के कर्ता धर्ता राघव चंद्रा ( सेवानिवृत आई ए एस ) और मित्र अभिलाष खांडेकर से मिलना सुखद अनुभव था । पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर भी इस कार्यक्रम में खास तौर पर उपस्थित रहे । देश के जाने माने कहानीकार पत्रकार हरीश पाठक और उनकी कवियत्री धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश पाठक भी मुंबई से आए थे ।
इसके अलावा पद्मश्री चित्रकार और पुराने मित्र भालू मोंढे, डॉक्यूमेंट्री निर्माता राकेश त्यागी,विंध्य के विलक्षण पत्रकार और मेरे छोटे भाई जयराम शुक्ल, ए बी पी न्यूज़ के ब्यूरोचीफ तथा अनेक पुस्तकों के लेखक छोटे भाई बृजेश राजपूत और सदाबहार छायाकार जे पी कौशल समेत कई पुराने साथियों से मिलना पूरे प्रसंग को एक नई खुशबू से भर गया ।
बताने की आवश्यकता नहीं कि इस अवसर पर छत्तीस बरस से मेरी साथी श्रीमती डॉक्टर मीता बादल की उपस्थिति सबसे ज़्यादा ख़ास थी ।