साधु का वेश धारण कर धारण कर लंकापति रावण ने किया माता सीता का हरण
– इधर आकाश मार्ग से सीता को ले जा रहे रावण को जटायु ने किया घायल
सी एल गौर रायसेन
रामलीला में मंगलवार को सीता हरण प्रसंग की आकर्षक प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गई जिसे देखकर हजारों की संख्या में मौजूद दर्शक खुश नजर आ रहे थे। प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार भगवान श्री राम लक्ष्मण माता सीता पंचवटी पर विश्राम करते हैं, इधर रावण मामा मारीच के पास जाते है और कहते है कि तुम मायावी मिरग बनकर जाना इधर में साधु बनकर सीता का हरण कर लूंगा। इसी दौरान बन में एक सुंदर सोने का मीरग माता सीता को दिखाई पड़ता है और सीता जी उसे देखकर मोहित होती हैं और भगवान राम से कहती हैं कि हे स्वामी कितना अच्छा सोने का सोने का मिरग है इसे पकड़ कर ले आइए और भगवान से लाने के लिए जिद करती हैं बार-बार तो भगवान प्रभु श्री राम उस मृग को पकड़ने के लिए घनघोर बन में मृग के पीछे चल देते हैं बह आगे आगे भागता है और तीर कमान लेकर भगवान राम उसके पीछे चलते हैं वन में मिरग भगवान को उछल कूद कर परेशान करता है तभी मौका पाकर भगवान राम बाण मार देते हैं तो उसके मुंह से राम-राम की आवाज निकलती है जो कि माता सीता के कानों तक पहुंचती है । इधर सीताजी लक्ष्मण जी से कहती हैं कि हे लक्ष्मण राम-राम की आवाज सुनाई पड़ रही है मुझे लगता है मेरे स्वामी किसी बड़े संकट में फंसे हुए हैं आप जाकर पता लगाओ । इस पर लक्ष्मण जी कहते हैं माता आपके पास भैया मुझे छोड़ गए हैं आपके पास देखरेख करने के लिए कोई नहीं है यहां अकेले कैसे रहेंगे परंतु सीता जी लक्ष्मण जी से बार-बार कहती हैं तो लक्ष्मण कुमार सीता जी के सामने लक्ष्मण रेखा खींच कर भैया राम की खोज में निकल पड़ते हैं और सीता जी से कहते हैं कि चाहे कोई भी आए इस लक्ष्मण रेखा को आप लाघना नहीं इससे भीतर जो भी जाएगा वह भस्म हो जाएगा। इस प्रकार से सीता जी से कहते हुए लक्ष्मण वन की ओर चल देते हैं, इधर साधु का भेष धारण कर लंकापति रावण माता सीता के पास आता है और लक्ष्मण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने के लिए कहता है तो सीता जी लक्ष्मण रेखा के भीतर से ही भिक्षा देने की बात कहती है परंतु साधु के भेष में रावण नहीं
मानता है और बाहर भिक्षा देने के लिए कहता है जैसे ही लक्ष्मण रेखा को लांग कर माता सीता बाहर आती है ऐसे ही असली स्वरूप में 10 मुख लगाकर रावण प्रकट हो जाता है और आकाश मार्ग पर माता सीता का हरण कर ले जाता है । रास्ते में जटायु माता सीता के कुछ आभूषण कपड़े नीचे गिरे हुए देखकर समझता है कि हो ना हो यह कोई अपहरण करके जा रहा है देखता हूं, जटायु रावण की ओर दौड़ते हैं और वह देखते हैं कि माता सीता आकाश मार्ग में राम राम बोल रही है, रावण जा रहा है वहीं से जटायु अपनी च्चोच मार देता है इसी दौरान रावण का रथ रुकता है और रावण जटायु से युद्ध करता है यहां एक बार जटायु ने युद्ध के दौरान लंकापति रावण को घायल अवस्था में कर दिया जिससे वह मूर्छित हो जाता है जैसे ही मूर्छित अवस्था रावण की जाती है तो वह तैयार होता है और जटायु से युद्ध करता है अंत में रावण जटायु का वध कर देता है। इधर राम राम करते हुए जटायु भगवान बैकुंठ धाम सिधार जाते हैं इस प्रकार से भगवान राम ने जटायु का भी उद्धार कर दिया। लक्ष्मण जी भगवान राम के पास पहुंचते हैं और अपनी बात कहते हैं राम पूछते हैं कि है लक्ष्मण सीता कहां है अकेले छोड़कर क्यों चले आए तुम यहां लक्ष्मण जी भगवान राम को पूरा हाल चाल बता देते हैं। इस प्रकार से रामलीला में सीता हरण के तेजस्वी लीला का मंचन रामलीला मैदान में आकर्षक ढंग से कलाकारों द्वारा किया गया इस दौरान लंकापति रावण की भूमिका कैलाश तिवारी, माता सीता की भूमिका विपिन विश्वकर्मा, मामा मारीच की भूमिका गुरुदयाल बैरागी और अंत में सीता हरण के समय लंकापति रावण की भूमिका कमल वैरागी ने निभाई।
रामलीला में बुधवार को राम सुग्रीव मित्रता एवं वाली वध का मंचन किया जाएगा
रामलीला में बुधवार को भगवान राम एवं सुग्रीव की मित्रता के साथ बाली वध की आकर्षक लीला का मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा रामलीला मैदान में किया जाएगा।