देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन
शिव लोक कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छटवे दिवस कथा वाचक ब्रह्मचारी जी महाराज जी ने कहा की जीवन बड़ा अनमोल है मानव दर दर भटक कर इसे बर्बाद कर रहा है।ब्रह्मचारी जी ने बताया कि माता-पिता व परिवार से प्राप्त संस्कार ही मानव को श्रेष्ठ बनाते हैं। तथा श्रेष्ठ कार्य करने प्रेरित करते हैं। बच्चों को प्रारंभ से ही संस्कारित कि या जाना चाहिए। ताकि बड़े होकर वह न केवल संस्कारित कार्य करें बल्कि अन्य के लिए भी उदाहरण प्रस्तु करें। उन्होंने बताया विवाद करने वाला तथा विवादों में रहने वाला व्यक्ति कभी भी संस्कारित नहीं हो सकता है। बालक की पहचान माता-पिता से होती है। मानव को धर्म दान करना चाहिए। श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष का साधन है। आज प्रकृति से छेड़छाड़ से मानव को कई परेशानियां हो रही हैं। धर्म ये नहीं कहता कि जीव की हत्या करो।हरी नाम मात्र जीव आत्मा को पार लगा सकता हैं।
निस्वार्थ भावना से भगवान भजन ही करना चाइए ,भगवान की कृपा मात्र से बड़े बड़े संकट कट जाते है।
जीव आत्मा सिर्फ अपने कर्मो के नुसार सुख दुख भोगता है।मानव के साथ क्या जाएगा। धोखे की माया है सब यही रखा रहेगा सिर्फ धर्म कर्म ही जाएगा मानव के साथ।
आयोजक अशोक सिंह रघुवंशी ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से कथा श्रवण करने का आग्रह किया है।