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आदिवासियों पर अपना जादू चलाने की फिराक में भाजपा-कांग्रेस-अरुण पटेल

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आलेख
अरुण पटेल

आने वाले कुछ दिन मध्यप्रदेश में यात्राओं से भरे होंगे और इनका शोरगुल राजनीतिक फिजाओं में गूंजता रहेगा और वह क्या रंग दिखाता है यह तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पता चल सकेगा। आदिवासियों को अपने मोहपाश में बांधकर उन पर अपना जादू चलाने के लिए भाजपा और कांग्रेस एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। अभी तक कोई तीसरा दल जुगलबंदी करने मैदान में नहीं आया है। बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव तो धीरे-धीरे कम हो रहा है लेकिन अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी जोर मार रही है और वह भी आने वाले समय में प्रदेश के द्विदलीय राजनीतिक ध्रुवीकरण में तीसरा कोण बनने के लिए दमखम से उतरने वाली है। फिलहाल इस बात की संभावना बहुत कम है कि प्रदेश में कोई तीसरी राजनीतिक ताकत अपना कोई विशेष असर दिखा पाये और भाजपा एवं कांग्रेस के बीच अपनी कोई अहम् भूमिका निभा पाये। सरकार किसकी बनेगी इसमें ये दल कहीं-कहीं अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं और उनके वोट काटने से किसको कहां फायदा मिलेगा यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा, लेकिन सत्ता की चाबी भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी तीसरे राजनीतिक दल के हाथ में जाये इसकी संभावना बहुत कम है। किसी के पास सरकार बनाने में यदि थोड़ा संख्याबल कम रहता है तो उसकी बस में ये दल सवार होने में संकोच नहीं करेंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव में पहले कांग्रेस सत्ता के लिए पूर्ण बहुमत से एक-दो कदम पीछे थी तब भाजपा को छोड़कर सभी विधायक कांग्रेस की बस में सवार हो गये और जब कांग्रेस की सरकार गिरी तो उनमें से केवल एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को छोड़कर बाकी सभी शिवराज सरकार के साथ हो गए।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के बोदरली में प्रवेश कर चुकी है और इस अवसर पर महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेता मौजूद रहे। राहुल गांधी गुरुवार 24 नवम्बर को आदिवासी जननायक टंट्या मामा भील की जन्मस्थली बड़ोदा अहीर पहुंचकर उनको श्रद्धासुमन अर्पित कर आदिवासियों की एक बड़ी सभा को सम्बोधित करते हुए राहुल गांधी ने सत्ताधारी दल भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि आदिवासियों को वनवासी कहना उनका अपमान है। उन्होंने कहा कि वनवासी शब्द आदिवासियों के हक छीनने वाला और उन्हें जल, जंगल और जमीन के अधिकार से वंचित करने वाला है। राहुल का कहना था कि भाजपा आदिवासियों को वनवासी कहकर उनका अपमान कर रही है और इस शब्द का इस्तेमाल करने के लिए भाजपा को आदिवासियों से माफी मांगना चाहिए। वहीं दूसरी ओर तू डाल-डाल मैं पात-पात की नीति पर चलते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बड़ोदा अहीर 23 नवम्बर बुधवार को ही पहुंच गये और जनजाति गौरव यात्रा में शामिल हुए। राहुल गांधी की मध्यप्रदेश यात्रा का एक विशेष आकर्षण यह भी रहा कि उनकी बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी अपने परिवार सहित राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल रहीं । राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में प्रदेश भर से निकाली गई 17 उपयात्राएं भी शामिल हो रही हैं। प्रत्येक दिन की यात्रा समाज विशेष को समर्पित होगी। राहुल गांधी की यात्रा जिन क्षेत्रों में जायेगी उनमें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की भी बहुत बड़ी आबादी निवास करती है।
एक ओर जहां राहुल गांधी की यात्रा को यादगार बनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कमर कस ली है तो वहीं प्रदेश में इस यात्रा को ज्यादा से ज्यादा समर्थन मिलने की संभावना इसलिए है क्योंकि पूरी यात्रा के समन्वयक और कर्ताधर्ता प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं। भारत जोड़ो यात्रा 4 दिसम्बर तक यहां मध्यप्रदेश में रहेगी और उसके बाद राजस्थान में प्रवेश कर जायेगी। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों में जागरुकता पैदा करने के अभियान में भिड़ गए हैं। 15 नवम्बर से प्रदेश में शिवराज सरकार ने आदिवासियों के संरक्षण के लिए पेसा के नियम लागू कर दिए हैं और इसके प्रति जनजाति समुदाय को जागरुक करने के लिए मुख्यमंत्री यात्रा कर रहे हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने 23 नवम्बर को जनजाति क्रांति सूर्य गौरव यात्रा का आगाज कर दिया है। टंट्या मामा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद पंधाना में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उनकी तथा केन्द्र सरकार द्वारा आदिवासी वर्ग के संरक्षण व हितों के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुए इन वर्गों की उपेक्षा करने और महज वोट बैंक समझने का आरोप कांग्रेस पर लगाया। शिवराज ने जिस जनजाति क्रांति सूर्य गौरव यात्रा को रवाना किया वह 3 दिसम्बर को पातालपानी पहुंच कर समाप्त होगी। इस प्रकार दोनों ही यात्राओं की सरगर्मी प्रदेश की राजनीतिक फिजाओं में घुली रहेगी।
आदिवासी वोट बैंक पर डोरे डालने की वजह
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आदिवासी वोट बैंक पर अपना एकतरफा प्रभाव बढ़ाने के लिए इसलिए प्रयासरत हैं क्योंकि यहां 47 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा लगभग 30 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें आदिवासी वर्ग की निर्णायक भूमिका रहती है और यह वर्ग चुनावों में जिसके साथ चला जाता है उसकी ही सरकार बनती है। आदिवासी वर्ग सामान्यतः कांग्रेस के साथ रहा है लेकिन 2003 से उसका झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा था, यही कारण है कि 2003 से 2013 तक भाजपा ने विधानसभा चुनावों में एकतरफा जीत दर्ज की। 2018 के विधानसभा के चुनाव के पूर्व आदिवासियों के साथ ही दलित वर्ग का झुकाव भी कांग्रेस की ओर कुछ अधिक हो गया यही कारण रहा कि भाजपा सत्ता से कुछ कदम पीछे रह गई और डेढ़ दशक बाद कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में अपनी सरकार बनाई। वह सरकार भी दलबदल के कारण गिर गई और फिर शिवराज के नेतृत्व में भाजपा सरकार बन गई। 2023 में होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में फिर से आदिवासियों का दिल जीतने की कवायद में दोनों दल अभी से लग गये हैं।
और यह भी
भाजपा द्वारा 23 नवम्बर से जो जनजाति क्रांति सूर्य गौरव यात्रा का आगाज शिवराज सिंह चौहान ने किया है उसका समापन 3 दिसम्बर को टंट्या मामा की जन्मस्थली पातालपानी में होगा। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने न केवल बैठक की बल्कि यात्रा के मार्ग का निरीक्षण भी किया। इस यात्रा में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शमिल होंगे। यात्रा पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भी बारीक नजर रहने की संभावना है। यह यात्रा मालवा-निमाड़ के साथ ही प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित लोकसभा क्षेत्रों के विधानसभा क्षेत्रों सहित उन क्षेत्रों से भी निकलेगी जिनमें आदिवासी समाज के लिए विधानसभा सीटें आरक्षित हैं या चुनाव में आदिवासी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होती है। आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने पूर्णकालिक प्रचारकों को काफी समय पहले ही सक्रिय कर दिया है। उनके द्वारा सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखी जा रही है और जहां भी खामी नजर आती है उसे अपने वरिष्ठजनों के माध्यम से सरकार तक पहुंचाते हैं। भाजपा की जनजाति क्रांति सूर्य गौरव यात्रा की तैयारी में पूर्णकालिकों ने अप्रत्यक्ष रुप से भी अपना योगदान दिया है। यही कारण है कि अब संघ की नजर भी इस यात्रा पर रहेगी। किसानों का दिल जीतने के लिए भी शिवराज ने घोषणा की है कि 9 लाख डिफाल्टर किसानों के कर्ज का ब्याज भी सरकार भरेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जो 9 लाख किसान 13 महीने की कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी की झूठी घोषणा की वजह से डिफाल्टर हुए उन्हें चिन्ता करने की जरुरत नहीं है क्योंकि ऐसे किसानों के कर्ज का ब्याज राज्य सरकार भरेगी और उनकी जायज समस्याओं का निराकरण किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा भारतीय किसान संघ की अगुवाई में भोपाल में हुए किसानों के प्रदर्शन के दौरान की। इसके अलावा और जो महत्वपूर्ण घोषणाएं शिवराज ने कीं उनमें अब किसानों की सहमति से ही उसकी जमीन अधिग्रहित होगी, किसान पम्प योजना का अनुदान अगले बजट सत्र में आयेगा, गन्ना किसानों का बकाया मिल मालिकों से बात कर वापस करायेंगे, जले हुए ट्रांसफार्मर को जल्द से जल्द बदलवायेंगे, नहरों को व्यवस्थिति कर टेल एंड तक पानी पहुंचायेंगे आदि शमिल हैं।

लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
-सम्पर्क: 9425010804, 7999673990

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