– जिले में 88 जनजाति ग्रामो में चल रहे सरस्वती संस्कार केन्द्रों पर पहुंच कर 24 घंटे किया प्रवास
रायसेन। विद्या भारती मध्यभारत प्रांत द्वारा मार्गदर्शित जनजाति क्षेत्र की शिक्षा को अंतर्गत भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा संचालित सरस्वती संस्कार केन्द्रों का विद्याभारती के प्रांतीय अधिकारियों, पूर्व छात्रों, विद्याभारती, समाजसेवियों ने अवलोकन किया। जिले में 88 जनजाति ग्रामो में सरस्वती संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहे है। विद्या भारती के प्रांतीय अधिकारी, पूर्व छात्र एवं समाजसेवियों में से प्रत्येक का 19 नवम्बर दोपहर 2 बजे से 20 नवम्बर की दोपहर 2 बजे तक प्रत्येक सरस्वती संस्कार केंद्र ग्राम में प्रवास हुआ।
ग्रामवासियों ने अथितियों का भव्य स्वागत किया। उन्हें ग्राम के देव स्थान की पूजन करवाई। रात्रि में भजन, फागें, दिवारी, लोकगीत, तामूरा भजन, भैया बहिनो के सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि की प्रस्तुति दी गई। सुबह सरस्वती संस्कार केन्द्रों पर माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कुम कुम लगाकर पुष्प चढ़ाकर प्रार्थना की गई। केंद्र के आचार्य, दीदी द्वारा भैया-बहिनों से अथितियों का परिचय कराया गया। आचार्य, दीदी ने केंद्र संचालन किया। इसमें देश भक्ति गीत, शिशु गीत व गीत के माध्यम से हिंदी, गणित, अंग्रेजी, पर्यावरण का शिक्षण कराया। प्राणयाम, आसन, व्यायाम, सूर्य नमस्कार, शैक्षणिक खेल खिलाए।
अंत मे अथितियों ने भैया-बहिनों को मार्गदर्शित किया। केंद्र के माध्यम से चल रहे समाजिक सरोकारों के अन्नपूर्णा मण्डपम, वृक्षारोपण, पॉलीथिन मुक्त कचराघर, बोरी बंधान, मंगल घर, स्वछता, जैविक कृषि आदि समाजिक सरोकार के कार्यो को देखा। ग्राम के प्रमुख परिवारों में सम्पर्क किया अंत मे ग्राम की बैठक की जिसमे ग्राम में चलने वाले सरस्वती संस्कार केंद्र, समाजिक सरोकार के कार्य, ग्राम में कैसे रोजगारों का उत्पादन हो इसके बारे में अथितियों ने ग्रामवासियों को मार्गदर्शित किया। ग्रामवासियों ने विद्या भारती के माध्यम से हो रहे परिवर्तन बताये जैसे भैया बहिनों की शिक्षा में सुधार, धर्मांतरण पर रोक, देश विरोधी गतिविधियों पर रोक, सामाजिक सरोकार के कार्य द्वारा आर्थिक बचत, परिवारों में सामूहिक रूप से रहना, नशा पर नियंत्रण के लिए प्रयास करना, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, महापुरूषो की जयंती मनाना और सामूहिक सांस्कृतिक कार्यक्रम मनाना आदि विषयों के बारे में बताया।
केन्द्रों के अवलोकन के बाद एकत्रीकरण स्थान पर आकर सभी ने अपने-अपने अनुभव सुनाये। अथितियों ने बताया कि कहा जाता है कि व्यक्ति शहर में सुखी है जबकि वास्तव में ग्राम में रहने वाला व्यक्ति सुखी है। वहाँ शुद्ध वातावरण प्रकृति गोद की ग्राम बसे हुये हैं जहाँ पहाड़ झरने, सामूहिक रूप से परिवार में रहना होता है। आज भी गांव में हमारी संस्क्रति देखने को मिलती है पहनावा, भोजन के व्यंजन, भाषा, सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलते है विद्या भारती जनजाति ग्रामों में केंद्र चला कर व्यक्ति निर्माण करना, रोजगार का उत्पादन खोजना, समयानुकूल परिस्थितियों का समाधान निकाले के जो कार्य कर रही है वास्तव में राष्ट्र निर्माण का कार्य कर रही है।