देबेन्द्र तिवारी साँची रायसेन
सांची में प्रसिद्धि अनुसार न तो सुविधाएं उपलब्ध हैं न ही व्यवस्था ही सुचारू ढंग से चल रही है जिसका सीधा असर नगर वासियों को तो भोगना ही पड़ता है बावजूद इसके इस खामियाजे से यहां आने वाले पर्यटक भी अछूते नहीं रहते।
जानकारी के अनुसार यह स्थल वैसे प्रसिद्ध पर्यटन का केंद्र है परन्तु इस स्थल पर मूलभूत सुविधाएं तो दूर रहती ही है साथ ही नगर में फैलती अव्यवस्थाओं से लोगों को दोचार होना पड़ता है साथ ही बाहरी लोगों का नगर में स्थित पुरा अवशेष के साथ ही हजारों साल पुरानी ऐतिहासिकता से रूबरू होते दिखाई दे जाते हैं परन्तु नगर की छवि तब विपरीत प्रभाव डाल देती है जब नगर की सड़कों पर भी व्यवस्था का अभाव दिखाई दे जाता है नगर भर में कहीं भी सड़कों सहित राष्ट्रीय राजमार्ग तथा बाजारों में सड़कों के बीचोबीच दुपहिया चार पहिया के साथ ही बडे वाहन खड़े दिखाई दे जाते हैं जिससे आवागमन तो बाधित हो ही जाता है साथ ही दुर्घटना का अंदेशा भी बढ़ जाता है कभी कभी तो दुर्घटना भी घटित हो जाती है तब इन असुविधा का खामियाजा लोगों को घायल हो कर भुगतना पड़ता है यही हाल नगर के प्रमुख चौराहों का भी बना रहता है जहां चौराहों पर वाहनों के खड़े होने से दुर्घटना का अंदेशा बढ जाता है सबसे खास बात यह है कि नगर का प्रमुख स्तूप पहुंच चौराहा जहां छोटे बड़े वाहनों का आसानी से खड़ा देखा जाता है इन वाहनों के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपाल विदिशा से आने जाने वाले छोटे बड़े अंधी रफ्तार से चलने वाले वाहन नहीं दिखाई देते जिससे हमेशा लोगों को चौराहों से आर पार करने मुश्किल का सामना करना पड़ता है पुलिस की लचर व्यवस्था के कारण लोगों के साथ बाहरी पर्यटकों को भी अपने ही हाथों के इशारे से वाहन चालकों से विनती नुमा इशारे करते हुए पार करना पड़ता है कहने को तो यह स्थल विश्व पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है परन्तु इस स्थल के अनुरूप यहां सुविधाओं का टोटा बना रहता है तथा नगर की सड़कों पर अंधी रफ्तार पर भी पुलिस नियंत्रण करने असफल साबित हो चुकी है पुलिस मात्र अपने पुलिस थाने तक ही सिमट कर रह गई है पुलिस को न तो तेज रफ्तार न ही सड़कों पर अव्यवस्थित खड़े वाहन के साथ ही अव्यवस्था पर नजर न पहुंच पाना कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही को उजागर कर रहा है