-प्रशासन की चुप्पी से तबाह होता शहर
संजय बेचैन,शिवपुरी
शिवपुरी का चाहे मरघट खाना इलाका हो, स्टेडियम के सामने का एरिया या फिर साइंस कॉलेज या बछोरा । शिवपुरी मे गाजरघाँस से भी तेजी से अवैध कॉलोनियों का जाल फैलता जा रहा है । पूरा शहर इन दिनों अवैध कॉलोनाइजर की कार्यस्थली बन गया है ।पटवारी से लेकर एसडीएम तक मूक तमाशाई बने शहर को उजड़ता देख रहे हैं। आज शहर की जिन कॉलोनियों को पॉश कॉलोनी की श्रेणी में रखते हैं और जहां हजारों रूपए वर्ग फीट के मान से कॉलोनियां काटी गई हैं, इनमें से 90 प्रतिशत कॉलोनियां अवैध हैं। यदि शासकीय दस्तावेजों में दर्ज अवैध कॉलोनियों की स्थिति को देखें तो शिवपुरी शहर और आसपास लगे ग्रामीण इलाके अवैध कोलोनिज से पटते जा रहे हैं जिला प्रशासन इनको मौन संरक्षण दिये हुये है । कुछ पटवारियों की मिलीभगत से पूरा शहर बेतरतीव होता जा रहा है । इन पर कार्यवाही को लेकर अब लोग सड़कों पर उतरने का मन बना रहे हैं ।
शिवपुरी मे एबी रोड़ पर बड़े हनुमान मंदिर के पीछे बछोरा में पटवारी व तत्कालीन तहसीलदार की मिलीभगत से भूमाफियाओं द्वारा लगभग 30 बीघा मे दम से प्लाट व पट्टियाँ बेची गईं मामला प्रशासन के संज्ञान मे होने के बाद अभी तक यह कारनामे को अंजाम देने वाले पर कार्यवाही संस्थित नहीं की गई । यहाँ पटवारी की साफ मिलीभगत रही है। इस मामले की लिखित शिकायत शहर के सामाजिक कार्यकर्ता ने शासन को प्रेषित की है । यहाँ हजार रूपए वर्ग फीट से अधिक के मान से कॉलोनी काटी गई हैं, खेतों को भूखंडों के रूप मे बेच दिया गया । ये पूरी कॉलोनी अवैध है। बछोरा मे खुलकर नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं हैं । इस अवैध कॉलोनी मे विकास कार्य न कराने से स्थानीय निकाय पर करोड़ों का भार पड़ेगा । बछोरा की इस भूमि पर न तो सीवर डाली गई न सड़कें बनाई गईं हैं , पेयजल की सुविधा भी नहीं है न ही नालियों का निर्माण किया गया है । इसके बाबजूद धड़ल्ले से प्लाट पट्टियाँ बेचे गए हैं । इन विकास कार्यों को नगरपालिका से कराने की सुगबुगाहट है। यानि सरकारी फ़ंड से भूमाफिया के काले काम कराये जाने की तैयारी है । जानकार बताते हैं कि प्रशासन को मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम की धारा यदि शासकीय दस्तावेजों में दर्ज अवैध कॉलोनियों की स्थिति को देखें तो शिवपुरी शहर पूरी तरह से अवैध रूप से बसा हुआ है। यहां चंद कॉलोनाइजरों ने पूरे जिले की जनता से धोखाधड़ी कर और शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाकर यहां लोगों को बिना सुविधा के साथ प्लॉट विक्रय किए हैं। नगर पालिका ने एक शिकायत के बाद साल 2019 में कॉलोनियों का सर्वे कराया था जिसमें 181 अवैध कॉलोनियां सामने आई थीं। इन पर कार्रवाई के लिए पत्राचार शुरू हुआ। नोटिस बांटे गए और फिर अधिकारियों ने पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। यानी देखा जाए तो जांच पूरी हो गई थी और 56 लोगों की 181 कॉलोनियां चिन्हित हो गई थीं। अब तीन साल बाद फिर से वही एबीसीडी प्रशासन शुरू कर रहा है। जो जांच पूरी हो चुकी है दोबारा से उसी जांच को करने के लिए गत दिनों कलेक्टर कार्यालय से एसडीएम के नाम आदेश जारी हुआ है। दरअसल पूरी कार्रवाई इसलिए की जा रही है कि इस मामले में एक शिकायतकर्ता कोर्ट जाने की तैयारी में है। कोर्ट में मामला पहुंचने के पहले ही प्रशासन यह साबित कर रहा है कि मामले में कार्रवाई की जा रही है। हालांकि कुछ कॉलोनाइजरों पर प्रशासन की ओर से एफआइआर भी दर्ज कराई गई है।
नोटिस का बड़ा खेल…
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कॉलोनाइजरों को जारी किए जाने वाले नोटिस का भी बड़ा खेल सामने आता है। एक साथ बल्क में कॉलोनाइजरों को नोटिस थमा दिए जाते हैं। नोटिस जारी करने स्थिति यह है कि कई छोटे भूस्वामियों को नोटिस जारी कर दिया जाता है बड़ों से गेम कर लिया जाता है।
अनुमति होने का झूठ फैलाकर बेच रहे प्लॉट
ग्वालियर बायपास पर काटी गई एक नामी कॉलोनी में यह दावा किया गया कि उनके पास सभी आवश्यक अनुमति हैं और कॉलोनी पूरी तरह से वैध है। लोगों ने इसके चलते 2 हजार रुपये स्क्वेयर फीट तक के ऊंचे दाम पर प्लॉट भी खरीद लिए। लेकिन यह कॉलोनाइजर का सफेद झूठ निकला। कॉलोनी को अभी नगर पालिका से अनुमति नहीं मिली। अनुमति का आवेदन देने के साथ ही कॉलोनाइजर ने भ्रम फैला दिया कि सभी अनुमतियां उसके पास हैं और इसके फेर में लोगों ने प्लॉट ले डाले। यह सिर्फ एक कॉलोनी नहीं, बल्कि कई कॉलोनियों का मामला है। कई तरह के झूठे प्रलोभन देकर लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं। बाद में जब सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं तब जाकर पता चलता है कि वे ठगे गए। लेकिन तब तक घर बन चुका होता है और उनके पास उसी में खुश रहने का समझौता करने के अलावा कोई चारा नहीं होता है।
अब एक और नया तरीका किया इजाद
कॉलोनाइजिंग के कारोबार से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो अब तो अवैध कॉलोनाइजिंग का एक नया रास्ता अपना लिया है। इसके तहत कॉलोनाइजर जिस व्यक्ति से जमीन क्रय करते हैं उससे सिर्फ एग्रीमेंट पर जमीन खरीदने के बाद कॉलोनी काटना शुरू कर देते हैं। जो व्यक्ति प्लॉट खरीदता है, कॉलोनाइजर रजिस्ट्री जमीन के मालिक से ही कराता है, ताकि कहीं भी उसका नाम जमीन खरीदने, बेचने वाले या कॉलोनी काटने वाले के रूप में इंगित न हो सके। ऐसे में अगर कार्रवाई होगी भी तो उस गरीब किसान पर जिसकी जमीन कॉलोनाइजर ने खरीद कर अवैध कॉलोनी काटी है।