हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी आज मनाई जा रही है। सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए हरतालिका तीज व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि विवाह योग्य युवतियां सुयोग्य वर की कामना से भी हरतालिका तीज करें तो उन्हें निश्चित रूप से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। इस वर्ष हरतालिका तीज पर 14 वर्ष के बाद रवियोग बन रहा है जो क़ि पूजन और व्रत के लिए अति उत्तम है।
हरतालिका के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अत्यंत कठिन और अति शुभ फलदायी व्रत माना गया है। हरतालिका तीज के व्रत के दिन विशेष रूप से माता पार्वती, भगवान शिव और गणेशजी की आराधना की जाती है। हरतालिका तीज उत्सव उत्तर भारत के कई स्थानों पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
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हरतालिका तीज का समय
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 8 सितंबर दिन बुधवार को रात्रि के 2 बजकर 33 मिनट पर हो रहा है और यह तिथि 9 सितंबर को रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में उदया तिथि 9 सितंबर को प्राप्त है, इसलिए हरतालिका तीज का व्रत 9 सितंबर दिन गुरुवार को पूर्ण विश्वास से रखा जाएगा।
हरतालिका पूजन मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त: हरतालिका तीज की पूजा प्रात: 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट के मध्य करना उत्तम है।
प्रदोष पूजा मुहूर्त : हरतालिका तीज की प्रदोष पूजा के लिए शाम को 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक मुहूर्त है।
हरतालिका तीज व्रत नियम
हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला रखा जाता है। कई जगह इस व्रत के अगले दिन जल ग्रहण किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने के बाद बेवजह छोड़ा नहीं जाता है और यदि आवश्यक हो तब किसी सुयोग्य ब्राह्मण के सपूत आदर सत्कार से कर दिया जाता है। इसे प्रत्येक वर्ष विधि विधान से रखा जाता है। इस व्रत में सोना वर्जित है, रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस व्रत पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की काली मिट्टी से प्रतिमा बनाई जाती है और यदि बनानी संभव न हो तो बनी बनाई भी आप ले आएं और पूजन कर सकते हैं।
हरतालिका तीज पूजा सामग्री : इन चीजों के बिना अधूरी है पूजा, पूजाविधि
सबसे पहले पूजा स्थल पर एक चौकी रखें, फिर उस पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें और यथाशक्ति पूजन करें। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की वस्तुएं चढ़ाएं। शिव जी को भी वस्त्र चढ़ाया जाता है। चढ़ाई सामग्री व्रत के अगले दिन ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर देनी चाहिए। व्रत पूजन के समय हरतालिका तीज व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए। व्रत के अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर हलवे का भोग लगाकर व्रत खोला जाता है। यदि आपकी क्षमता हो तो एक चांदी की चूड़ी पूजन के समय हाथ में पहननी अनिवार्य होती है।