मां गायत्री त्रिदेव की आराध्य है। हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गायत्री मंत्र के जाप से मन की शांति, जीवन में सुख की प्राप्ति होती है। यह सबसे अधिक लाभकारी मंत्र माना जाता है। ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र का प्रसार किया। उन्होंने गायत्री मंत्र के जाप के लाभों को बताया। इसके उच्चारण मात्र से ही वातावरण पवित्र हो जाता है। यह मंत्र मन की एकाग्रता को बढ़ाता है। इस मंत्र के जाप से सीखने की शक्ति का विकास होता है। यह मंत्र मन को मजबूत करता है।
गायत्री मंत्र का सबसे पहला जिक्र ऋग्वेद में मिलता है। गायत्री मंत्र का उच्चारण ॐ के साथ किया जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है। गायत्री मंत्र को हिंदू धर्म में विशिष्ट स्थान दिया गया है। तमाम अनुष्ठानों में इसका उच्चारण किया जाता है। गायत्री मंत्र का जाप करने से शरीर के अंगों पर भी सकारात्मक असर पड़ता है और इनमें ऊर्जा का प्रवाह होता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। गायत्री मंत्र का जाप हृदय को भी लाभ पहुंचाता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से त्वचा में चमक आती है। गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से पहले करना चाहिए। दोपहर में भी इस मंत्र का जाप किया जा सकता है। शाम को गायत्री मंत्र का जाप सूर्यास्त से कुछ समय पहले और सूर्यास्त के कुछ समय बाद करना चाहिए। गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। इस मंत्र का जाप करने के लिए स्नान आदि निवृत्त होकर स्वच्छ और सूती वस्त्र धारण करें और किसी आसन पर बैठकर जाप करें। जाप के लिए तुलसी या चंदन की माला का प्रयोग करें।