जबलपुर। साइबर ठगों को ट्रांजेक्शन के लिए बैंक खाता देकर मिलने वाले कमीशन के लालच में पड़कर कुछ आरोपितों को ठगी का भी चस्का लग गया था। आरोपितों ने बाहर जाकर गिरोह के सदस्यों से ऑनलाइन ठगी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। ऑनलाइन गेमिंग और अन्य झांसा देकर कई को चूना लगाया था। साइबर ठगी के तरीके सीखने के लिए आरोपित दिल्ली और हरियाणा गए थे। यह जानकारी पुलिस की स्टेट साइबर सेल की पकड़ में आए आरोपितों से पूछताछ में हुई है।
*ठग गिरोह से जुड़े 12 सदस्य गिरफ्तार*
पुलिस ने दो दिन पहले हैदराबाद ओर सतना में कार्यवाही करते हुए ऑनलाइन ठग गिरोह से जुड़े 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। आरोपितों से प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस अब ऑनलाइन ठगी का प्रशिक्षण देने वाले गिरोह के सदस्यों के बारे में पता लगा रही है। पूछताछ में कई अन्य सुराग भी पुलिस के हाथ लगे है।
*27 बैंक पासबुक, 48 एटीएम कार्ड जब्त*
ऑनलाइन ठगी के मामले में सतना के एक बैंक खाता में राशि जमा होने का पता चला था। इस खाते का पीछा करते हुए स्टेट साइबर सेल सतना पहुंची थी। जांच में सतना में ऐसे कई बैंक खाते सामने आए थे, जिसमें साइबर धोखाधड़ी और ठगी की राशि जमा हो रही थी।
*बैंक कर्मियों की मिली भगत*
दूसरे राज्य में बैठे शातिर ठग ऑनलाइन राशि सतना के कई लोगों के बैंक खाता में जमा कर रहे थे। प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर कमीशन देते थे। इस खेल में कुछ खाताधारक ऐसे भी थे जिनकी जानकारी के बिना बैंक कर्मियों की मिली भगत से ऑनलाइन ठगी राशि का आदान-प्रदान हो रहा था।
*17 बैंक खाता की पासबुक, 48 एटीएम कार्ड*
मामले में स्टेट साइबर सेल ने जबलपुर, मैहर और सतना निवासी 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के कब्जे से 15 लाख रुपये जब्त हुए है। ठगी में उपयोग होने वाले 20 मोबाइल फोन, आठ लैपटाप, 17 बैंक खाता की पासबुक, 48 एटीएम कार्ड, चेकबुक, स्वाइप मशीन मिले है।
*फर्जी सिम कार्ड बेचने वालों को ढूंढ रहे*
गिरफ्तार आरोपितों के पास से 19 फर्जी सिमकार्ड जब्त हुई है। इन सिमकार्ड का उपयोग साइबर ठगी के लिए बैंक खाता खुलवाने में किया जाता था। सिमकार्ड अन्य लोगों के नाम पर है। जांच में सामने आया है कि ठगी और उसे लेन-देन के लिए आरोपितों ने फर्जी तरीके से सिमकार्ड निकलवाई थी। ये सिमकार्ड सतना और जबलपुर से क्रय किए गए थे। फर्जी सिमकार्ड बेचने वालों को ढूंढा जा रहा है।
सिमकार्ड के खेल में दूरसंचार कंपनियों के प्रतिनिधियों और इनके बैंक खाता में उपयोग को लेकर बैंक प्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। ये भी स्टेट साइबर सेल के निशाने पर है।