यशवन्त सराठे बरेली रायसेन
मानस सत्संग भवन में आयोजित हुई सात दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा के विश्राम दिवस की कथा में कथा व्यास महामंडलेश्वर ब्रह्मचारी महाराज ने कहा मनुष्य योनि का लक्ष्य केवल और केवल जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त होना है। गर्भ में जब मनुष्य के प्राण सुषुम्ना नाड़ी में होते हैं तो उसे अपने पूर्व जन्मों का स्मरण रहता है। उसे पिछले हर जन्म में उदर में हुए कष्टों का अहसास रहता है।वह हर बार कष्ट से मुक्त होने के लिए रो रो कर ईश्वर से अंतिम अवसर की दुहाई गर्भ से बाहर आने की प्रार्थना करता है।जन्म लेते ही मनुष्य हर बार की तरह भगवान से की गई प्रार्थना भूल जाता है और माया में फस कर मनुष्य योनि के लक्ष्य को भूल जाता है।
ब्रह्मचारी महाराज ने बताया कथा सुनने की सार्थकता जीवन में सुधार हो जाना है। ब्रह्नचारी महाराज ने चार प्रकार के साधुओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कुछ लोग संपत्ति नष्ट हो ने पर साधु बन जाते हैं, कुछ परिवार द्वारा धिक्कार ने पर साधु बन जाते हैं। असली वैराग्य संसार के विषयों से दूर होना है।