भोपाल।भारत का कौशल सदैव से सशक्त रहा है.मंदिरों की शिल्पकलाएं और दिल्ली का लौह स्तंभ इसके उदाहरण हैं.जितना कौशल भारत में है उतना किसी देश में नही हनुमान जी द्वारा पर्वत उठाना ,शब्दभेदी बाण जल संरक्षण आदि इसके उदाहरण हैं आवश्यकता अपने कौशल को पहचानने की है जो हमारी शिक्षा नीति कर रही है उक्त विचार आज बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महविद्यालय भेल भोपाल मे सशक्त कौशल: भारत के सतत विकास का आधार विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में व्यक्त किए।
बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महविद्यालय भेल मे श्री अशोक कड़ेल संचालक म.प्र.हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने उच्च शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमीनार के मुख्य अतिथि के रूप मे अपने उद्धबोधन में कहा कि भारत का कौशल सदैव सशक्त रहा है ,हमारी समृद्ध संस्कृति ,सभ्यता और परंपराए सदैव ज्ञान का आधार रहीं हैं जो नित्य नूतन और चिर पुरातन जैसी सनातनी चिंतन की पर आधारित हैं .
बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो.डा.सुरेश कुमार जैन ने विशेष अतिथि के रूप मे कहा कि जितना कौशल भारत में है उतना विश्व के किसी देश में नही .आवश्यकता हमे इसे पहचानने का अवसर देने की है जो हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का आधार है आर्टीफीसियल इंटेलिजेंसी, शब्दभेदी बाण ,हनुमानजी द्वारा पर्वत उठाना या जल संरक्षण जैसे विषय सशक्त कौशल की बानगी है .इस अवसर पर अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डा मथुरा प्रसाद ने कहा कि भारत में कौशल की कमी नही है आज का युवा विविध क्षेत्रों में कौशल प्रदर्शित करने में सक्षम है
जनभागीदारी अध्यक्ष बारेलाल अहिरवार ने इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की प्रारंभ में प्राचार्य डा संजय जैन ने सभी अतिथियों का शाल ,श्रीफल स्मृति चिंह एवं पौधे से स्वागत किया. इस समारोह का संचालन राष्ट्रीय सेमीनार की संयोजक डा समता जैन ने किया .तीन सत्रों में देश के 79 प्रतिभागियों वे ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए महाराष्ट्र, बिहार,छतीसगढ़ ,उत्तरप्रदेश ,सहित मध्यप्रदेश के उज्जैन, बैतूल ,रायसेन ओबेदुल्लागंज ,विदिशा भोपाल के प्राचार्य, प्राध्यापको ने सक्रिय सहभागिता कर सेमीनार को उद्देश्यपूर्ण बनाया