सैयद मसूद अली पटेल गैरतगंज रायसेन
सिविल अस्पताल लंबे समय से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। उधर जिन डॉक्टरों की पदस्थापना है वे भी ओपीडी में मनमर्जी से पहुंचते है जिसके चलते मरीज़ परेशान होते देखे जा रहे है। शासन प्रशासन की अनदेखी ने सिविल अस्पताल की स्थिति खराब करके रखे हुए है।
कहने को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को सिविल अस्पताल का दर्जा मिल गया है परंतु अस्पताल में सुविधाएं बढ़ने की जगह अस्पताल असुविधाओं का केंद्र बन गया है। अस्पताल में बीएमओ को छोड़कर स्थाई रूप से दो डॉक्टर नीलेश चौरसिया एवं डॉ नरेश लोधी पदस्थ है जिनमे से डॉ नरेश लोधी लंबे समय से छुट्टी पर है। वही 3 अन्य बोंडेड डॉक्टरों की तैनाती तो है पर उनकी उपस्थिति भी औपचरिक ही है। यही नही जो डॉक्टर वर्तमान के पदस्थ है वे भी मनमर्जी से ही मरीज़ों को ओपीडी में देखने पहुंचते है। इमरजेंसी ड्यूटी के लिए एक भी ऐसा डॉक्टर नही है जो मरीज़ों को देखने त्वरित पहुंच जाए। ऐसे में मरीज़ों को तात्कालिक सही इलाज नही मिल पाता जिसके चलते मरीज़ प्रायवेट अस्पताल में इलाज कराने मजबूर हो रहे है। इन हालातों में अस्पताल में आये दिन विवाद के हालात निर्मित हो रहे है।
ओपीडी में मनमर्जी से बैठ रहे डॉक्टर
सिविल अस्पताल एक तरफ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ इक्का दुक्का पदस्थ डॉक्टर भी मनमर्जी से कार्य कर रहे है। वे निर्धारित समय पर ओपीडी में नही बैठते। सोमवार को 12 बजे तक डॉक्टर ओपीडी में मरीज़ों को देखने नही पहुंचे तो बड़ी संख्या में मौजूद मरीज़ों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस तरह के हालात हमेशा ही निर्मित रहते है। इसके अलावा अस्पताल के एक भी महिला डॉक्टर पदस्थ नही है जिसके चलते क्षेत्र की महिला मरीज़ परेशान होती है।
इस संबंध में ब्लाक मेडिकल ऑफिसर अरनिष्ट लाल का कहना है कि अस्पताल के डॉक्टरों की कमी है यह बात वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में है जैसे ही डॉक्टरों की तैनाती होती है व्यवस्थाओं में ओर सुधार लाया जा सकता है।