मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
दीवानगंज सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में शनिवार को दशहरा का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुबह के समय जहां लोगों ने घरों में विधिवत दशहरा पूजन किया। वहीं, दुर्गा मूर्ति विसर्जन भी शांति पूर्वक ढंग से संपन्न हुआ। दीवानगंज मैं देर रात को निकला चल समारोह में दीवानगंज से सरपंच गिरजेश नायक ने सभी झांकियों पर विराजमान मां जगदंबे को फूल मालाओं और चुनरी से स्वागत किया। साथ ही हर झांकी को शील्ड देकर सम्मानित किया।
दीवानगंज के तालाब में अंबाडी ,सेमरा, दाल मिल, और कुलहड़िया, दीवानगंज के श्रद्धालुओं ने दुर्गा मूर्ति विसर्जित कर मां को अंतिम विदाई दी। वही जमुनिया , कुल्हाड़ीया, देहरी, बालमपुर पर विराजमान मां दुर्गे जी की मूर्ति को देहरी तलाव पर विसर्जित की गई। मां जगदंबे को अंतिम विदाई देने के लिए लोग बड़ी संख्या में ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते गाते हुए मां को विदाई देने आए थे
चल समारोह में गांधी मोहल्ला दीवानगंज की झांकी ज्यादा आकर्षित राही, क्योंकि इस झांकी में शिव पार्वती बैठे हुए थे गांधी मोहल्ला दीवानगंज में हर साल शिव पार्वती जी की मूर्ति विराजमान की जाती है जबकि सेमरा पर विराजमान मां दुर्गे जी की मूर्ति का रविवार विसर्जन किया गया। रविवार को सेमरा में दिनभर कन्या भोज होता रहा। भवानी चौक पर स्थित मां जगदंबे की मूर्ति विसर्जित करने के बाद रावण का दहन किया गया। इस बार मूर्ति विसर्जन करने आए श्रद्धालुओं के वाहनों को पुलिस ने एक जगह पर इकट्ठा नहीं होने दिया, जिसके चलते रोड पर जाम की स्थिति नहीं बनी। सांची नायक तहसीलदार नियति साह ,सलामतपुर थाना प्रभारी दिनेश सिंह रघुवंशी , दीवानगंज पुलिस स्टाफ की टीम शाम से ही तलाब के घाट पर पहुंच गई थी क्षेत्र में अधिकांश लोगों ने दीवानगंज तलाव में मूर्ति विसर्जन किया। इस दौरान कई गांव में भक्तों द्वारा कई जगह विशाल भंडारे के आयोजन भी किए गए, जिनमें प्रसाद ग्रहण कर लोगों ने पुण्य कमाया। दुर्गा मूर्ति विसर्जन शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हो गया है। महा के शुक्ल पक्ष की दशमी को पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया गया।
सत्य की असत्य पर जीत के इस पर्व को विजयादशमी भी कहते हैं. इतना ही नहीं ये पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद के प्रारंभ होने की सूचना भी देता है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी. मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था. दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है।