राम जी की राम कथा ऐसा अपार महासागर है जिसका पार पाना हर किसी के बस की बात नहीं-पंडित मुरलीधर जी महाराज
श्री राम कथा के सातवें दिवस महाराज जी ने श्री राम वन गमन की कथा का सुंदर वर्णन किया
सी एल गौर रायसेन
जिला मुख्यालय स्थित दशहरा मैदान पर चल रही श्री राम कथा के सातवें दिवस मंगलवार को प्रसिद्ध राम कथा वाचक पंडित मुरलीधर जी महाराज ने श्री राम चरित्र मानस पर आधारित भगवान श्री राम वन गमन की कथा विस्तार से वर्णन करते हुए हजारों भक्तों को सुन कर भाग भर कर दिया।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान राजा राम की बारात जनक जी के स्वागत सत्कार के पश्चात अवधपुरी के लिए चलती है इस समय की महिमा वर्णन नहीं किया जा सकती इस समय का सुंदर दृश्य परमात्मा राम की झलक पाने के लिए जनकपुरवासी ललाई थे राम जी विवाह के बाद अवधपुरी में पहुंचते हैं जहां राय दशरथ जी और सारे महल में खुशियां छा जाती हैं सखियां मनभावन मंगल गीत गाती हैं। महाराज श्री ने कहा कि कभी भी आए हुए अतिथि का सत्कार करो अनादर मत करो श्री राम चरित्र मानस में गोस्वामी जी ने लिखकर हमें बताया है कि जब जनक जी के यहां भगवान राम की बारात पहुंची तो उन्होंने जो सत्कार किया उसकी सभी देखते रह गए उन्होंने कहा कि आज समय बदल गया है आज के समय में अगर घर पर कोई अतिथि आता है तो उनके जाने की पहले व्यक्ति सोचने लगता है परंतु रामचरित्र मानस ऐसा पवित्र ग्रंथ है जो हमें आदर करना और सही मार्ग पर चलना सिखाती है
श्री राम चरित्र मानस ऐसा अपार महासागर है जिसे पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है जिसने भी परमात्मा राम की कृपा और रामचरितमानस के आधार पर अपना जीवन लगा दिया वह भव से पार हो गया। इधर जनक जी अपनी बेटी माता सीता की विदाई करते हैं और कहते हैं कि जो बेटी अपने कुल सहित दोनों कुल का नाम बढ़ाना सीता जैसी बेटी को पाकर जनक जी मन में हर्षित दिखाई दे रहे थे इस प्रकार से जनक जी अतिथियों की विदाई करते हैं। महाराज जी ने कथा का वाचन करते हुए आगे की कथा में बताया कि मंथरा और कैकई के बीच राम वन गमन को लेकर संवाद होता है क्योंकि केकई नहीं चाहती थी कि राम अयोध्या के राजा बने भरत जी को राजा बनाना चाह रही थी इसी समय दासी मंथरा ने केकेई के कान भर दिए की राजा दशरथ से राम को वन और भरत को राज देने के दो वरदान पूरा करने की मांग की गई जब राजा दशरथ राम जी को वनवास देने की बात सुनकर मन ही मन बहुत दुखी हुए और रानी केकेई से बोले की मेरे प्रिय राम को क्यों वनवास भेजना चाहती हो परंतु कैकई राजा दशरथ की नहीं मानती और दोनों वरदान राजा दशरथ से मांग लेती है। माता कैकई के आदेश का पालन करते हुए वनवासी रूप धारण कर भगवान राम लक्ष्मण माता सीता के साथ और वन गमन के लिए 14 वर्ष के लिए चल लेते हैं। इस समय की लीला का वर्णन सुप्रसिद्ध कथा वाचक पूज्य पंडित मुरलीधर जी महाराज ने श्री रामचरितमानस की पवित्र चौपाइयों के गायन के साथ बहुत ही सुंदरता के साथ किया जिसे सुनकर कथा पंडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए।
महाराज जी ने राम कथा के दौरान भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने समय की पहचान कर ली वह बहुत समझदार है समय के साथ भाग बदलता है समय की हर समय इंसान को कीमत करना चाहिए उन्होंने कहा कि समय बड़ा बलवान, वही अर्जुन वही वान अर्थात जीव को चाहिए कि वह भगवान का भजन और मनन करें और जगत से मन हटाकर प्रभु भक्ति में अपना मन लगाए तो उसका उद्धार हो सकता है। महाराज श्री ने कहा कि अगर आप 2 घंटे भगवान की भक्ति में लगाते हैं तो इससे भी आपका जीवन सफल हो सकता है जगत व्यवहार करते-करते परमात्मा राम जी का भी भजन करो। महाराज जी ने कथा वाचन के दौरान मध्य प्रदेश राज्य की सराहना करते हुए कहा कि देश में मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है
जहां श्री रामचरितमानस सबसे ज्यादा गया जाता है और राम कथा से लेकर श्री रामचरितमानस अखंड रामायण के पाठ आदि ज्यादा होते हैं उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रति प्रसन्नता के साथ कहा कि मध्य प्रदेश के वासी बधाई के पात्र हैं। महाराज श्री ने राम कथा के दौरान श्रद्धालुओं से कहा कि आज के इस आधुनिक दौर में मोबाइल का ज्यादा प्रचलन हो गया है जिससे कि लोग मोबाइल में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं अगर वह समय निकालकर अपना काम करने के साथ भगवान के श्री चरणों में मन लगे तो इससे उनका उद्धार हो सकता है परंतु बच्चों से लेकर बूढ़े लोग तक इस समय मोबाइल के चक्कर में पड़े हुए हैं। युवा पीढ़ी के प्रति महाराज जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मोबाइल का प्रचलन बढ़ने एवं ज्यादातर बच्चों के उपयोग करने से उनका भविष्य भी अंधकार में हो रहा है जबकि मोबाइल बात करने के लिए है परंतु युवा पीढ़ी के बच्चे पूरे समय मोबाइल में ही लगे रहते हैं। महाराज श्री ने राम कथा का वाचन करते हुए कथा में मौजूद माता बहनों से आग्रह किया कि वह माता-पिता के चरित्र को अपने जीवन में अपना किस प्रकार से उन्होंने भगवान राम के साथ रहकर जीवन व्यतीत किया और उनके आचरण चरित्र को आत्मसात करते हुए आप अपने जीवन में उतारे। महाराज श्री ने माता बहनों को बताया कि आप घर में अपनी बेटी को जिस प्रकार से सम्मान देती हैं वैसा ही व्यवहार बहू के साथ करना चाहिए बहू और बेटी एक समान है तो कभी घरों में विवाद की स्थिति नहीं बनेगी परंतु आज के समय में देखने में आ रहा है कि अधिकांश सास और बहू के बीच तनातनी का वातावरण बना रहता है इसे मिटाना है और बहू को भी बेटी की तरह रखना है। इसी प्रकार से भगवान राम जी और उनके भाइयों में आपस में जो प्रेम था इस प्रेम का वातावरण घरों में होना चाहिए आज के दौर में भाई-भाई को साथ नहीं दे रहा बाप बेटे को बेटा बाप को इससे फायदा होने वाला नहीं है। परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ यानी देखकर मनुष्य बनाया है हमारा भी कर्तव्य है कि परमात्मा के प्रति समर्पण भाव से भक्ति भजन कर जगत व्यवहार करते हुए अपने जीवन को धन्य करें। इस प्रकार से राम कथा के दौरान श्री राम वन गमन और अनेक प्रसंगों की कथा को सुनकर हजारों श्रद्धालु महाराज जी के सुंदर भजनों पर झूम के लिए दिवस हो गए।
श्री राम कथा आयोजन समिति के प्रवक्ता सी एल गौर ने महाराज श्री के आदेश अनुसार बताया कि रामकथा का गुरुवार तक चलेगा कथा के आखिरी दिवस 19 सितंबर को कथा समापन की वजह से राम कथा का वाचन महाराज श्री के श्री मुख से सुबह 9:30 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक किया जाएगा, इसके पश्चात हवन शांति और प्रसाद आदि वितरण का कार्यक्रम संपन्न होगा। राम कथा में बुधवार को केवट संवाद की मार में कथा का वर्णन महाराज श्री द्वारा किया जाएगा श्री राम कथा आयोजन समिति के सभी पदाधिकारीयों ने धर्म प्रेमी बंधुओ से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर राम कथा एवं धर्म का लाभ उठाने की अपील की है।